कोरोना वायरस के चीन में बन रहे टीके का विदेश में भी परीक्षण किया जा सकता है: अधिकारी

Edited By PTI News Agency,Updated: 01 Apr, 2020 10:52 AM

corona virus vaccine being manufactured in china is also tested abroad

चीन में जानलेवा कोरोना वायरस का टीका विकसित किया जा रहा है। अगर वुहान में चल रहे परीक्षण से साबित होता कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है तो चीन की योजना इस बीमारी से गंभीर रूप से प्रभावित अन्य देशों में भी इसका परीक्षण करने की है।

बीजिंग: चीन में जानलेवा कोरोना वायरस का टीका विकसित किया जा रहा है। अगर वुहान में चल रहे परीक्षण से साबित होता कि यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है तो चीन की योजना इस बीमारी से गंभीर रूप से प्रभावित अन्य देशों में भी इसका परीक्षण करने की है। चाइनीज अकादमी ऑफ इंजीनियरिंग की सदस्य चेन वेई ने बताया कि अधिकारियों की मंजूरी के बाद, 16 मार्च को वुहान में टीके के क्लीनिकल परीक्षण का पहला चरण शुरू किया गया था। यह सुचारू रूप से चल रहा है और इसके नतीजे अप्रैल में प्रकाशित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस टीका का परीक्षण चीन में रहने वाले विदेशियों पर भी किया जाएगा।

वुहान चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी है। इसी शहर से जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ था जो अब दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुका है। हाल के दिनों में संक्रमण के मामले कम होने के बाद 1.1 करोड़ की आबादी वाले शहर में करीब दो महीने बाद हालात सामान्य हो रहे हैं। सरकारी चाइना डेली ने मंगलवार को चेन के हवाले से खबर दी कि अगर शुरुआती परिणाम साबित करते हैं कि टीका सुरक्षित है और प्रभावी है और वैश्विक तौर पर महामारी का फैलना जारी रहता है तो हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए विदेशों में टीके की प्रभावशीलता का परीक्षण करेंगे।

उन्होंने कहा कि इस तरह से इस टीके का इस्तेमाल कोरोना वायरस से बुरी तरह से प्रभावित देशों में भी जल्द से जल्द किया जा सकता है, ताकि इम महामारी को नियंत्रण में लाया जा सके। चेन अकादमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज में भी शोधार्थी हैं।उन्होंने बताया कि कई देशों ने टीके में रुचि दिखाई है और उनकी टीम के सदस्य टीका विकसित करने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय समकक्षों के साथ सहयोग करने को तैयार हैं।

चेन ने कहा कि यह अभी पता नहीं है कि टीका का इस्तेमाल करने के लिए कब मंजूरी मिलेगी, क्योंकि इसका सुरक्षित और प्रभावी साबित होना जरूरी है। क्लीनिकल परीक्षण के पहले चरण में 18 से 60 वर्ष की आयु के स्वस्थ लोगों को टीका लगाया गया था जिसका मकसद सुरक्षा और अन्य चीजों का मूल्यांकन करना है।



 

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