रिपोर्टः आतंक से निपटने के नाम पर पाकिस्तान 50 हजार निर्दोष नागरिकों को दे चुका मौत

Edited By Tanuja,Updated: 03 Jun, 2019 11:58 AM

report says pak army has been killed 50 thousand innocent civilians

आतंक से निपटने के नाम पर नापाक पाकिस्तान का एक और कालासच उजागर हुआ है । आतंक से निपटने के नाम पर पाक ऐसा घिनौना कामकर रहा है ...

पेशावरः आतंक से निपटने के नाम पर नापाक पाकिस्तान का एक और कालासच उजागर हुआ है । आतंक से निपटने के नाम पर पाक ऐसा घिनौना कामकर रहा है जिसे जानकर मानवाधिकार संगठनों में रोष पाया जा रहा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाक में आतंकवाद से निपटने के नाम पर 2002 से अब तक कम से कम 50 हजार निर्दोष लोग इस लड़ाई में मार दिए गए और 50 लाख से ज्यादा लोग बेघर होकर इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 9/11 आतंकी हमले के बाद शुरू हुई ‘वॉर ऑन टैरर’ के दौरान हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं। पाक सैनिकों और विद्रोहियों के आपसी युद्ध में यातना देने और मारने के सबूत अब धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। सरकारी आंकड़े तस्दीक नहीं करते, लेकिन स्वतंत्र शोध संगठनों, स्थानीय अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के आंकड़े 2002 से अब तक कम से कम 50 हजार से अधिक लोगों के इस लड़ाई में मारे जाने और 50 लाख से ज्यादा के बेघर होने का दावा करते हैं। पड़ोसी देश में हालातों पर पर्दा किस तरीके से डाला जाता है, इसकी एक झलक एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में दिखाई देती है।

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इस रिपोर्ट के मुताबिक, 20 जनवरी, 2014 की शुरुआत में पाक सेना ने अफगान सीमा के करीबी उत्तरी वजीरिस्तान के कबीलाई क्षेत्र के हमजोनी एरिया में रात को हुए हवाई हमले में पाकिस्तानी तालिबान के सबसे बड़े कमांडर अदनान राशीद और उसके पांच परिजनों के मारे जाने का दावा किया। पाकिस्तानी एयरफोर्स का पूर्व तकनीशियन रशीद उस समय चर्चा में आया था, जब उसने एक स्कूली लड़की मलाला यूसुफजई को पत्र लिखा था। नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला को 2012 में एक तालिबानी हमलावर ने सिर में गोली मार दी थी। पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर हमला की कोशिश के आरोप में जेल में बंद रह चुके रशीद ने पत्र में मलाला को गोली मारने का कारण समझाने की कोशिश की थी।

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मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही साल बाद रशीद ने एक वीडियो में पेश होकर पाकिस्तानी सेना के दावे को झूठा ठहरा दिया था। तब सामने आया था कि पाकिस्तानी सेना के विमान ने रशीद के ठिकाने के बजाय दो घर छोड़कर एक निर्दोष परिवार पर बम गिरा दिया था। इन मरने वालों में एक तीन साल की बच्ची भी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, पाक सेना ने आज तक अपनी इस गलती को स्वीकार नहीं किया है। पाक सेना की तरफ से वजीरीस्तान क्षेत्र में मानवाधिकार के हनन और यातना व आतंकी झड़पों के कारण मारे जाने वाले निर्दोष नागरिकों का आंकड़ा कभी पेश नहीं किया जाता।

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सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि इन मामलों के सबूत जुटाने वालों को भी पाक सेना मार रही है। पश्तून तहाफुज मूवमेंट (पीटीएम) के 13 कार्यकर्ताओं की 26 मई को हुई मौत इसका उदाहरण है। इनकी मौत उस समय हुई थी, जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे संगठन के लोगों पर सेना की तरफ से हमले का आरोप लगाकर सीधी फायरिंग कर दी थी। साथ ही पीटीएम के दोनों संस्थापक सांसदों को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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