Edited By Tanuja,Updated: 22 Nov, 2018 01:32 PM
अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मंगल के चंद्रमा फोबोस की सतह पर आड़ी-तिरछी नालियों के बनने का राज खोल दिया है। ब्राउन विश्वविद्यालय के इन शोधकर्ताओं का दावा है कि...
वाशिंगटनः अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मंगल के चंद्रमा फोबोस की सतह पर आड़ी-तिरछी नालियों के बनने का राज खोल दिया है। ब्राउन विश्वविद्यालय के इन शोधकर्ताओं का दावा है कि प्राचीन क्षुद्रग्रह में हुए विस्फोट के बाद निकले पत्थरों के लढ़कने से ये नालियां बनी थीं। जर्नल प्लैनेटरी एंड स्पेस साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में स्टिकनी ज्वालामुखी से उत्पन्न मलबे की नकल के लिए कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया गया।
मॉडल में बताया गया है कि स्टिकनी ज्वालामुखी के फटने के बाद बड़े-बड़े पत्थल लुढ़कने लगे। इस कारण फोबोस पर नालियां बन गईं जो आज भी देखी जा सकती हैं। शोधकर्ताओं के टीम लीडर केन रैम्सले ने कहा कि फोबोस पर बनी ये नालियां उसकी एक विशिष्ट पहचान हैं और इसकी उत्पत्ति को लेकर 40 वर्षों से खगोलविद् लगातार बहस करते रहे हैं। रैम्सले का कहना है कि यह अध्ययन बहस को खत्म करने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। फोबोस पर बनी नालियों को पहली बार 1970 में नासा के मैरिनर और विकिंग अभियान के दौरान देखा गया था।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में इसकी उत्पत्ति को लेकर कई बातें कही गईं। कुछ वैज्ञानिकों ने यह मान लिया है कि मंगल ग्रह पर किसी बड़े प्रभाव के कारण फोबोस पर मलबा जमा हुआ जो आज नाली के रूप में दिख रहा है। दूसरों का मानना है कि मंगल ग्रह की गुरुत्वाकर्षण शक्ति धीरे-धीरे फोबोस को अलग कर रही है। फोबोस की सतह पर नालियों का होना संरचनात्मक विफलता के लक्षण हैं।