Edited By Tanuja,Updated: 29 Oct, 2018 11:24 AM
श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। रविवार को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को अगवा करने की कोशिश की गई...
कोलंबोः श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। रविवार को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को अगवा करने की कोशिश की गई।इस बीच की गई फायरिंग में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि तीन लोग जख्मी हो गए। इस घटना के बाद कोलंबो में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति सिरिसेना के समर्थकों ने पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को जबरन अपने साथ ले जाने की कोशिश की। बचाव में रणतुंगा के सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें तीन लोग घायल हो गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रणतुंगा जब अपने सरकारी ऑफिस सिलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में जा रहे थे, तभी उन्हें अगवा करने की कोशिश हुई, जिसके बाद उनके गार्ड ने गोली चलाई। पुलिस ने गार्ड को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसुर्या ने रानिल विक्रमसिंघे को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर तो मान्यता दे दी है, लेकिन अभी भी वहां सियासी संकट गहराया ही हुआ है। बता दें कि यूएनपी नेता विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था, जिसे वहां की मीडिया ने 'संवैधानिक तख्तापलट' बताया है।
श्रीलंका में राजनीतिक उठापटक के चलते सिरिसेना ने संसद को 16 नवंबर तक निलंबित कर दिया, क्योंकि विक्रमसिंघे ने बहुमत साबित करने के लिए आपात सत्र बुलाने की मांग की थी। साथ ही, राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे की निजी सुरक्षा और वाहनों को उनके 72 वर्षीय उत्तराधिकारी महिंदा राजपक्षे को सौंपने के लिए वापस ले लिया। बता दें कि श्रीलंका की संसद में राजपक्षे और सिरिसेना की कुल 95 सीटें हैं और बहुमत से वे पीछे हैं। वहीं, विक्रमसिंघे की UNP के पास अपनी खुद की 106 सीटें हैं और बहुमत से केवल सात कम हैं।