जापान ने तनावमुक्त रखने का ढूंढा नया तरीका, कर रहा ‘टीयर्स टीचर’ तैयार

Edited By Tanuja,Updated: 25 Oct, 2018 02:25 PM

tear teachers trend in japan weep to be stress free

दुनिया में सबसे ज्यादा मेहनती लोगों में शामिल जापान के लोग सबसे कम छुट्टियां लेते हैं और सबसे ज्यादा काम करते हैं। लेकिन इस वजह से वे सबसे ज्यादा तनाव के शिकार भी होते हैं...

टोक्योः  दुनिया में सबसे ज्यादा मेहनती लोगों में शामिल जापान के नागरिक सबसे ज्यादा काम करते हैं और सबसे कम छुट्टियां लेते हैं। लेकिन इस वजह से वे सबसे ज्यादा तनाव के शिकार भी होते हैं। कर्मचारियों के अलावा, जापानी छात्र भी दुनिया में सबसे ज्यादा तनावग्रस्त छात्रों में गिने जाते हैं। ऐसे में, अपने नागरिकों को तनाव मुक्त रखने के लिए जापान एक नया तरीका अपना रहा है। यहां लोगों का तनाव भगाने के लिए उन्हें हंसाने की बजाय रुलाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। कंपनियां और स्कूल अपने कर्मचारियों और छात्रों को हफ्ते में एक दिन जमकर रोने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। रोने के फायदे बताने के लिए खास तरह ‘टीयर्स टीचर’ यानी आंसू लाने वाले ट्रेनर भी तैयार किए जा रहे हैं।
 
PunjabKesari
जापान की एक हाईस्कूल टीचर हीदेफूमी योशिदा (43) ने पांच-छह साल पहले रोने से होने वाले फायदों पर शोध और प्रयोग शुरू किए। अब उन्हें जापान में नामिदा सेंसेई यानी टीयर्स टीचर के तौर पर जाना जाता है। योशिदा की जापानी कंपनियों और स्कूलों में भारी मांग है। इन्हें कंपनियों और स्कूलों में रोने के फायदे बताने और लोगों को रुलाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।योशिदा के रुलाकर तनाव भगाने वाले एक्सपेरिमेंट्स पर तोहो यूनिवर्सिटी की मेडिसिन फैकल्टी के प्रमुख प्रोफेसर हिदेहो अरिटा भी शोध कर चुके हैं। इन दोनों के एक्सपेरिमेंट और रिसर्च से साबित हुआ है कि हंसने और सोने के मुकाबले रोने से तनाव जल्दी खत्म होता है। हफ्ते में एक बार रोने से स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने में बड़ी मदद मिलती है। इनके शोध से निकले नतीजों को देखते हुए जापान सरकार ने साल 2015 में 50 से ज्यादा कर्मचारी वाली कंपनियों के लिए तनाव मुक्त कदम उठाना अनिवार्य कर दिया था। 
PunjabKesari
रोने के तनाव से संबंध को लेकर 16 साल पहले 30 देशों में एक सर्वे हुआ था। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 60 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना था कि तनाव से लड़ने में रोना उनके लिए ज्यादा असरदार साबित होता है। वहीं, दुनिया के 70 फीसदी मनोचिकित्सक तनाव से जूझ रहे लोगों को रोने की ही सलाह देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, मानव शरीर तीन तरह के आंसू रिलीज करता है - पहला है रिफ्लेक्स। ये आंसू तब बनते हैं जब आंख में कोई बाहरी कण गिर जाता है। दूसरा है कॉन्टिन्यूअस टीयर्स। ये आंसू हमारी आंखों में नम रखने में मदद करते हैं। तीसरे होते हैं इमोशनल टीयर्स। ये भावनाओं से जुड़े होते हैं और मनुष्य के दुखी या खुश होने पर रिलीज होते हैं। 1980 में अमेरिका के मिनियापोलिस स्थित रैमजे मेडिकल सेंटर के डॉ. विलियम फ्रे के मुताबिक, रोने के दौरान निकलने वाले आंसुओं में तनाव से जुड़ा एक हार्मोन भी शामिल होता है। जब आंसुओं के साथ यह बाहर निकलता है तो इंसान हल्का महसूस करता है।

PunjabKesari

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!