पाक चुनाव में  महिलाओं ने रचा जीत का इतिहास, बनेंगी संसद का हिस्सा

Edited By Tanuja,Updated: 28 Jul, 2018 06:20 PM

these women became the face of victory in pakistan election

पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनाव  के सभी नतीजे आ चुके हैं और इन नतीजों के बाद इमरान खान के नेतृत्व वाली पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है । क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान सत्ता पर काबिज होने की पूरी तैयारी में...

पेशावरः पाकिस्तान में 25 जुलाई को हुए चुनाव  के सभी नतीजे आ चुके हैं और इन नतीजों के बाद इमरान खान के नेतृत्व वाली पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है । क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान सत्ता पर काबिज होने की पूरी तैयारी में हैं। राजनीतिक गलियारों में हो रही इस अदला-बदली के बीच पाकिस्तान के चुनाव एक और वजह से चर्चा में रहे और वो है इस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी।पाकिस्तान के चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 206 के मुताबिक सभी दलों को 5 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देना आवश्यक किया गया था। यही वजह है कि नेशनल असेंबली की कुल 272 सीटों पर अलग-अलग दलों ने कुल 171 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। इनमें से पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने सबसे अधिक 19 महिलाओं को मैदान में उतारा उसके बाद दक्षिणपंथी दल मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमए) ने 14 महिलाओं को टिकट दिया। वहीं पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के करीब पहुंची पीटीआई ने 11 महिलाओं को टिकट दिया। इसके साथ जमात-उद-दावा की अल्लाह-ओ-अकबर पार्टी ने भी 3 महिलाओं को उम्मीदवारी सौंपी।
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कुल मिलाकर पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार इतनी संख्या में महिलाएं चुनावी मैदान में उतरी। साल 2013 के चुनाव में 135 महिलाएं चुनावी मैदान में थीं। इन महिला उम्मीदवारों में एक नाम अली बेगम का भी है, जो पुरुष प्रधान कबायली इलाके से चुनाव लड़ने वाली पहली महिला उम्मीदवार हैं। वैसे पाकिस्तान में चुनाव आयोग का एक नियम ये भी कहता है कि किसी चुनावी क्षेत्र में 10 प्रतिशत से कम महिलाओं की भागीदारी हुई, तो चुनावी प्रक्रिया ही रद्द कर दी जाएगी।चुनाव आयोग की इन शर्तों के बाद तमाम पार्टियों ने महिलाओं को टिकट तो दिया लेकिन कई महिला संगठनों ने यह आरोप भी लगाए कि महिला उम्मीदवारों को कमजोर सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया है।इन हालात के बावजूद  कुछ महिला चेहरों ने पाकिस्तान के चुनाव में इस बार जीत दर्ज की। पाकिस्तान में महिला मतदाताओं के लिए महिला मतदान केंद्र बनाए गए। इसी तरह का एक केंद्र कोटू इलाके के निचले दीर के एनए 7 सीट का है, जहां महिलाएं मतदान के लिए इकट्ठा हुई।PunjabKesari
जरताज गुल
जरताज गुल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की उम्मीदवार थी। उन्होंने दक्षिणी पंजाब में नेशनल असेंबली 191 डेरा ग़ाजी खान-III से जीत दर्ज की है। जरताज गुल ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सरदार ओवैस लेघरी को हराया है। जरताज गुल को 79 हजार 817 मत प्राप्त हुए जबकी उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 54 हजार 548 मत मिले। जीत के बाद जरताज गुल ने ट्वीट कर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया साथ ही उन्होंने पीटीआई के चेयरमैन इमरान खान को भी शुक्रिया कहा। जरताज गुल का जन्म नवंबर 1994 में फाटा प्रांत में हुआ। उनके पिता वजीर अहमद जई सरकारी अफसर रह चुके हैं।
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शम्स उन निसा
शम्स उन निसा पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने थाटा इलाके से जीत दर्ज की है। शम्स उन निसा की जीत का अंदाजा उन्हें मिले वोटों से लगाया जा सकता है। शम्स उन निसा को जहां 1 लाख 52 हजार 691 वोट मिले वहीं उनके बाद दूसरे नंबर पर रहे पीटीआई के उम्मीदवार अर्सलन बख्श ब्रोही को महज 18 हजार 900 वोट ही मिले। शम्स उन निसा इसी सीट से साल 2013 में भी चुनाव जीत चुकी हैं। उन्हें साल 2013 में इस सीट से चुनाव लड़ने का मौका तब मिला था जब मई 2013 में सादिक अली मेमन को दोहरी नागरिकता के चलते अपनी सीट गंवानी पड़ी थी।
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डॉक्टर फहमीदा मिर्जा
नेशनल असेंबली की पूर्व स्पीकर डॉक्टर फहमीदा मिर्जा ने अपनी सीट जीत ली है। वे ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस (जीडीए) के टिकट से सिंध प्रांत के बादिन इलाके से चुनाव मैदान में उतरी थीं। फहमीदा पांचवीं बार पाकिस्तानी संसद का हिस्सा बनेंगी। लगातार एक ही सीट से पांच बार जीतने वाली फ़हमीदा पहली महिला उम्मीदवार बन गई हैं। डॉक्टर फहमीदा ने पहली बार साल 1997 में पीपीपी के टिकट पर नेशनल असेंबली का चुनाव जीता था। उसके बाद वे साल 2002, 2008 और 2013 में पीपीपी की उम्मीदवार के तौर पर जीतती रहीं। इस साल जून महीने में उन्होंने पीपीपी का साथ छोड़ जीडीए के साथ जाने का फैसला लिया। पाकिस्तान में महिला उम्मीदवारों की जीत से साफ होता है कि धीरे-धीरे वहां की राजनीति में भी महिलाएं अपनी पकड़ मजबूती से बना रही हैं।

PunjabKesariजुगनू मोहसिन
जुगनू मोहसिन ने पंजाब प्रांत से जीत दर्ज की है। वे एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरी थीं। जुगनू मोहसिन नजम सेठी की पत्नी हैं, वे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मौजूदा वक्त में नजम सेठी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन हैं। राजनीति के अलावा जुगनू पत्रकारिता में भी सक्रिय रही हैं। वे 'द फ्राइडे टाइम्स' की सह संस्थापक हैं। साल 1999 में उनके पति नजम सेठी को नवाज शरीफ़ सरकार ने पत्रकारिता से जुड़े कामों की वजह से गिरफ़्तार कर लिया था। उस समय जुगनू ने अपने पति की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया था और तब वे चर्चा में आई थीं।

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