चीनी कब्जे के विरोध में आत्मदाह कर रहे तिब्बती, 159 लोग दे चुके जान

Edited By Tanuja,Updated: 10 Apr, 2022 04:31 PM

tibetans take to self immolation to protest against china

तिब्बत में चीनी कब्जे के विरोध में लोग आत्मदाह कर रहे हैं।  हाल के दिनों में यहां आत्मदाह की घटनाओं में तेजी आई है। 2009 से कुल 159...

इंटरनेशनल डेस्कः तिब्बत में चीनी कब्जे के विरोध में लोग आत्मदाह कर रहे हैं।  हाल के दिनों में यहां आत्मदाह की घटनाओं में तेजी आई है। 2009 से कुल 159 तिब्बती लोग अपनी मातृभूमि पर चीन के कब्जे के विरोध में आत्मदाह कर चुके हैं। 24 वर्षीय तापेय किर्ति भिक्षु, 27 फरवरी 2009 को आत्मदाह करने वाले सबसे पहले बौद्ध भिक्षु थे। 25 वर्षीय लोकप्रिय तिब्बती गायक त्सेकांग नोर्बु के ल्हासा में 25 फरवरी 2022 को आत्मदाह करने के बाद यह मामला फिर से सामने आ गया।मार्च के पहले सप्ताह में एक अस्पताल में नोर्बु की मौत हो गई।

 

तिब्बत प्रेस के अनुसार, 27 मार्च को अमडो प्रांत के नगाबा में पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो कार्यालय के सामने एक और तिब्बती ने आत्मदाह कर लिया। बाद में पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई। चीन सरकार क्षेत्र के जनसंख्या अनुपात में भी फेरबदल करने में जुटी है। हान चीनी प्रवासी कामगारों को तिब्बत में लाया जा रहा है। चीन इन बदलावों को विकास बता रहा है। साल 2008 में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और जातीय शिकायतों के कारण चीन का विरोध हुआ था। इसके बाद चीन की ओर से धार्मिक प्रथाओं पर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए थे। यही नहीं दलाई लामा को टारगेट किया गया था।

 

चीन की ओर से प्रतिबंध तिब्बतियों पर स्थिरता के नाम पर लगाए गए थे। इससे तिब्‍बती लोगों को कड़े कानूनों से रूबरू होना पड़ा। हाल ही में चीन की ओर से मंदारिन को बढ़ावा देने के लिए तिब्बती भाषा के अध्ययन पर पाबंदी लगाई गई थी। चीन की ओर से यह कदम तिब्‍बती संस्‍कृति को कुचलने का एक हिस्‍सा था। चीनी सरकार की ओर से इन बदलावों को विकास की संज्ञा दी गई। चीन ने अपनी इन्‍हीं नीतियों के जरिए तिब्बती पहचान को लगातार निशाना बनाने का काम किया।

 

 तिब्बत प्रेस के अनुसार चीन का दावा है कि 2008 का विरोध सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का नतीजा था लेकिन असलियत चीनी प्रोपेगेंडा से अलग है। आत्मदाह एक अपराध है लेकिन कोई अन्य शांतिपूर्ण साधन उपलब्ध नहीं होने के चलते यह विरोध दर्ज कराने का एक साधन भी रहा है। यही कारण है कि आत्मदाह की घटनाएं चीनी दमन की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित कराने के एक साधन के रूप में तिब्बती आंदोलन का हिस्‍सा बन गई हैं।

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