वैज्ञानिकों ने सूजन रोधी दवा से कोरोना पर की महत्वपूर्ण खोज, वैक्सीन बनाने में मिलेगी मदद : रिपोर्ट

Edited By Tanuja,Updated: 28 May, 2020 05:25 PM

two anti inflammatory drugs found that inhibit the replication of corona

अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि दो सूजन रोधी दवाएं उस एंजाइम पर अंकुश लगा सकती हैं जिसकी वजह से कोरोना ...

लंदनः अनुसंधानकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि दो सूजन रोधी दवाएं उस एंजाइम पर अंकुश लगा सकती हैं जिसकी वजह से कोरोना वायरस शरीर में जाने के बाद अपना प्रजनन करता है या अपनी प्रतिकृति तैयार करता है। इनमें से एक दवा मानव को और एक दवा पशुओं को दी जाती है। ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज’ में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट में विभिन्न दवा एजेंसियों द्वारा मानव और पशुओं के लिए सुझाई गईं 6,466 दवाओं का अध्ययन करने के लिए कंप्यूटर तकनीकों का सहारा लिया गया। स्पेन स्थित यूनिवर्सिटैट रोविरा के अनुसंधानकर्ताओं ने यह अध्ययन किया कि क्या इन दवाओं का इस्तेमाल वायरस के ‘एम-प्रो’ नाम के उस एंजाइम पर अंकुश लगा सकता है जो प्रतिकृति बनाने में इस घातक विषाणु की मदद करता है।

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उन्होंने पाया कि मानव और पशुओं को दी जाने वाली सूजन रोधी दवाएं-‘कारप्रोफेन’ और ‘सेलेकोक्सिब’ विषाणु प्रतिकृति बनाने में कोरोना वायरस की मदद करने वाले एंजाइम को अवरुद्ध कर सकती हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह खोज टीका बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है जिससे कोविड-19 का अंत हो सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के समन्वय से हुए कुछ अन्य परीक्षण भी विषाणु रोधी ‘लोपिनाविर’ और ‘रिटोनाविर’ जैसी दवाओं के माध्यम से ‘एम-प्रो’ एंजाइम पर अंकुश लगाने पर ही केंद्रित हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि 6,466 दवाओं में से सात दवा ऐसी हैं जो एम-प्रो पर अंकुश लगा सकती हैं।

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कोरना मरीजों में प्रभावी एंटीबॉडी मिलीं
कोविड-19 बीमारी से ठीक होने वाले 149 लोगों पर किये गए एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि अधिकांश व्यक्तियों में कम से कम कुछ एंटीबॉडी विकसित हुईं, जो कुदरती रूप से सार्स-सीओवी-2 विषाणु को रोकने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नतीजे बीमारी के एक सार्वभौमिक टीके के विकास में मदद कर सकते हैं। अमेरिका में रॉकफेलर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा इन मरीजों के प्रतिरोधक अध्ययन के पहले नतीजे में यह भी पाया गया कि प्रत्येक व्यक्ति में बनी एंटीबॉडी की मात्रा में काफी अंतर था। शोधकर्ताओं ने पाया कि एंटीबॉडी की प्र‍भावोत्पादक क्षमता में भी काफी अंतर था।

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कुछ जहां वायरस को प्रभावित करती हैं वहीं कुछ ही ऐसी थीं जो वास्तव में उसके “प्रभाव को कम कर” रही थीं, यानी वास्तव में वे विषाणु को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक रही थीं.। वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशन से पूर्व बायोआरएक्सआईवी सर्वर पर साझा किये गए अध्ययन के नतीजों के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कोरोना के ठीक हो चुके मरीजों के रक्त के नमूने एकत्र किए थे। शोधकर्ताओं ने कहा कि जिन नमूनों का अध्ययन किया गया उनमें से अधिकतर ने “वायरस गतिविधि को बेअसर करने में” खराब से लेकर औसत प्रदर्शन किया, जो कमजोर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का संकेत है।

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