चीन को सबक सिखाने के मूड में ब्रिटेन, विध्वंसक एयरक्राफ्ट 'क्वीन एलिजाबेथ' एशिया में तैनाती की तैयारी

Edited By Tanuja,Updated: 03 Dec, 2020 12:54 PM

uk raises pressure on china with carrier deployment to asia

दुनिया पर कब्जे की ताक व कई मुद्दों को लेकर आक्रामक तेवर दिखा रहे चीन को हिंद महासागर में सबक सिखाने के लिए ब्रिटेन अब एक्शन मोड में आ गया ...

लंदनः दुनिया पर कब्जे की ताक व कई मुद्दों को लेकर आक्रामक तेवर दिखा रहे चीन को हिंद महासागर में सबक सिखाने के लिए ब्रिटेन अब एक्शन मोड में आ गया है। ब्रिटिश नेवी ने अपने सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर HMS क्वीन एलिजाबेथ को अगले साल पूरे फ्लीट के साथ  एशिया में चीन के नजदीक तैनात करने की योजना बनाई है। यह एयरक्राफ्ट कैरियर साउथ चाइना सी में जारी तनाव के बीच अमेरिका और जापान की सेना के साथ इस इलाके में बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास करेगा। 

 

ब्रिटिश अखबार, द टाइम्स ने जुलाई में बताया कि ब्रिटिश सेना ने सुदूर पूर्व में क्वीन एलिजाबेथ को आधार बनाने की योजना तैयार की थी। इस एयरक्राफ्ट कैरियर की सहायता से आर्मी दूसरे देशों में अपने मिशन को अंजाम देने की योजना पर भी काम कर रही है। यह एयरक्राफ्ट अपने मिशन के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका और जापानी सेना के साथ संयुक्त अभ्यास में भाग ले सकता है। इस स्टाइकर समूह में एफ-35बी लाइटनिंग फाइटर जेट के दो स्क्वाड्रन, स्टेल्थ लड़ाकू विमान, दो टाइप 45 श्रेणी के डिस्ट्रॉयर, दो टाइप 23 फिग्रेट, दो टैंकर और हेलिकॉप्टर्स का बेड़ा शामिल है।

 

माना जा रहा है कि इसके चीन के नजदीक युद्धाभ्यास करने से दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा सकता है। वहीं, चर्चा है कि इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को भी आमंत्रित किया जा सकता है। इन दोनों देशों से भी चीन के संबंध निचले स्तर पर हैं। ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने एक ऑनलाइन भाषण में कहा कि अगले साल HMS क्वीन एलिजाबेथ दो दशकों के लिए हमारी सबसे महत्वाकांक्षी तैनाती पर भूमध्य सागर, हिंद महासागर और पूर्वी एशिया जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान यह एयरक्राफ्ट कैरियर ब्रिटिश और गठबंधन सेना को जरूरी सहायता भी उपलब्ध करवाएगी।

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ब्रिटिश अधिकारी कई महीने पहले से क्वीन एलिजाबेथ एयरक्राफ्ट कैरियर के एशिया में तैनाती के संकेत दे रहे थे। लेकिन, यह पहली बार है जब खुद पीएम बोरिस जॉनसन ने इसे लेकर टिप्पणी की है। माना जा रहा है कि ब्रिटेन का यह कदम चीन को एक स्पष्ट संकेत भेजने की है। हाल के दिनों में हॉन्ग कॉन्ग को लेकर चीन और ब्रिटेन में काफी जुबानी जंग देखने को मिली है।

 

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