अमेरिका ने चीन पर दिखाई सख्ती, पाक को दिए कर्ज पर उठाए सवाल

Edited By Tanuja,Updated: 22 May, 2020 10:18 AM

us to china ease burden of  unfair predatory  lending on pak

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव से पूरी दुनिया वाकिफ है। पहले ट्रेड वार और फिर कोरोना वायरस को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं और

वॉशिंगटनः अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव से पूरी दुनिया वाकिफ है। पहले ट्रेड वार और फिर कोरोना वायरस को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं और जमकर एक दूसरे की खिंचाई कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका ने चीन को आड़े हाथों लेते हुए पाकिस्तान को दिए गए कर्ज पर सख्ती से सवाल उठाया है। अमेरिका का कहना है कि वह पाकिस्तान को दिए गए ‘अनुचित और उत्पीड़क’ कर्ज के बोझ को कम करे।

 

दक्षिण-मध्य एशिया के लिए विदेश मंत्रालय की कार्यवाहक सहायक मंत्री व शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा कि चाहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) हो या कोई दूसरी सहायता हो, अमेरिका हमेशा ऐसे निवेश का समर्थन करता है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार हो। यह बयान इसलिए आया है ताकि पाकिस्तान कोरोना महामारी के संकट के दौरान लिए गए उधार को चुकता कर सके। बता दें कि अमेरिका पहले भी चीन द्वारा पाक को दिए जा रहे कर्ज पर सवाल उठा चुका है। वेल्स ने कहा, हम ऐसे निवेश का समर्थन करते हैं जो वैश्विक मानकों के हिसाब से हो और पर्यावरण को बेहतर बनाता हो ताकि क्षेत्रीय लोगों को उसका लाभ हो सके।

 

वेल्स ने कहा कि CPEC को लेकर अमेरिकी सरकार की चिंता वाजिब है क्योंकि इसमें पारदर्शिता का अभाव है और चीनी संगठनों को अनुचित दर पर लाभ मिल रहा है। लगता है कि कोरोना संकट के समय, जब दुनिया अर्थव्यवस्था के बंद होने के नतीजों के जूझ रही है, चीन के लिए यह जरूरी है कि वह इस उत्पीड़क, बोझिल और अनुचित कर्ज का बोझ कम करे।’ वेल्स ने उम्मीद जताई कि चीन या तो कर्ज माफ करेगा या उसका पुनर्गठन करेगा। एलिस वेल्स ने कहा कि शांति के लिए पाकिस्तानी प्रतिबद्धता बढ़ी है। उसने आतंकी समूहों और उनके वित्तपोषण को रोकने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। वेल्स ने कहा, दक्षिण एशिया रणनीति ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान को इन समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है, खासकर जो अफगानिस्तान में संघर्ष का समर्थन करते हैं और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा पैदा करते हैं।

 

चीन ने पाकिस्तान को दी बधाई, कहा- प्राथमिकता देना जारी रखेंगे 
उधर, चीन ने बृहस्पतिवार को सहयोगी देशों के राजनयिक संबंधों की स्थापना के 69 वर्ष पूरे होने पर  कहा कि वह अपने पड़ोस की कूटनीति में पाकिस्तान को प्राथमिकता देना जारी रखेगा और अपने प्रगाढ़ संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बृहस्पतिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन और पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों की 69 वीं वर्षगांठ पर मैं बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि भविष्य में, हमें द्विपक्षीय संबंधों के और बढ़ने का पूरा भरोसा है। हम पाकिस्तान को अपने पड़ोस की कूटनीति में प्राथमिकता देना जारी रखेंगे। 

 

भारत के बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के एक साल बाद पाकिस्तान ने 1951 में चीन को मान्यता दी थी। 1950 में चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के साथ ही भारत एशिया का पहला गैर-कम्युनिस्ट देश बन गया था। हालांकि, इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के चीन के साथ राजनयिक संबंध भले ही देर से बने, लेकिन बाद में वह कम्युनिस्ट चीन का सबसे करीबी सहयोगी बन के उभरा है। हाल के वर्षों में दोनों देशों ने 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC ) के साथ अपने संबंध और अधिक प्रगाढ़ किए हैं। यह बीजिंग द्वारा विदेश में किया सबसे बड़ा निवेश है।

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