Edited By Isha,Updated: 18 Oct, 2018 01:37 PM
अमरीका भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा सकता है। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत ने ऐसे कई कदम उठाये हैं, जिससे उसकी कुछ बड़ी ङ्क्षचताएं दूर हुयी हैं। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को
वॉशिंगटनः अमरीका भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा सकता है। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत ने ऐसे कई कदम उठाये हैं, जिससे उसकी कुछ बड़ी ङ्क्षचताएं दूर हुयी हैं। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत को इस सूची में बनाये रखा है हालांकि उसने कहा कि यदि भारत उसी तरह की गतिविधियां जारी रखता है, जो उसने पिछले छह महीने में की हैं तो अगली द्वि-वाॢषक रिपोर्ट में उसका नाम सूची से हटाया जा सकता है।
मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, भारत की गतिविधियों में स्पष्ट रूप से बदलाव आया है। उसके केंद्रीय बैंक की जून 2018 तक विदेशी मुद्रा खरीद शुद्ध रूप से कम होकर 4 अरब डॉलर रह गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के पहले छह महीने के दौरान विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार से निकासी की। पहले छह महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले करीब सात प्रतिशत और वास्तविक आधार पर चार प्रतिशत से अधिक गिर गया है।
अमरीका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (यानी अमेरिका का व्यापार घाटा) जून 2018 तक 23 अरब डॉलर है लेकिन भारत के चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.9 प्रतिशत हो गया है। इसमें कहा गया है कि चालू खाते के घाटे के बढऩे की वजह सोना और पेट्रोलियम पदार्थों का आयात है। वित्त मंत्रालय ने कहा, इसके परिणामस्वरूप भारत तीन में से सिर्फ एक मानदंड को पूरा कर पाया है। यदि अगली रिपोर्ट तक भारत का यह रुख बरकरार रहता है तो उसे निगरानी सूची से हटा दिया जायेगा। मंत्रालय ने भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप नहीं करने की प्रशंसा की है। उसने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि रुपये की विनिमय दर में गिरावट बाजार-आधारित है और अनुचित उतार-चढ़ाव की स्थिति में ही हस्तक्षेप किया जायेगा।