Edited By Tanuja,Updated: 25 Nov, 2019 01:11 PM
जब पूरा विश्व तकनीक के बढ़ते प्रभाव की वजह से बदलती जीवनशैली के कारण शारीरिक सक्रियता कम होने से जुड़ी समस्याओं को लेकर चिंतित है...
दुबईः जब पूरा विश्व तकनीक के बढ़ते प्रभाव की वजह से बदलती जीवनशैली के कारण शारीरिक सक्रियता कम होने से जुड़ी समस्याओं को लेकर चिंतित है, ऐसे में भारत के लिए थोड़ी राहत की बात है कि उसके किशोर अन्य देशों के किशोरों की तुलना में अधिक सक्रिय हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
अध्ययन के परिणाम में कहा गया है कि लड़कियों के घरेलू काम करने और लड़कों के क्रिकेट जैसे खेलों पर ध्यान केंद्रित करने के कारण वे शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं।WHO ने 11 से 17 उम्र के छात्रों को लेकर अपनी तरह का पहला अध्ययन किया है। उसने कहा कि विश्व भर में करीब 80 प्रतिशत किशोर प्रतिदिन 60 मिनट से भी कम समय के लिए कोई शारीरिक गतिविधि करते हैं। इस अध्ययन में 16 लाख बच्चों को शामिल किया गया है । वर्ष 2001 से 2016 के बीच किए गए अध्ययन के अनुसार चार देशों टोंगा, समोआ, अफगानिस्तान और जाम्बिया को छोड़कर 146 देशों में लड़कियां लड़कों से कम सक्रिय हैं।
WHO ने सिफारिश की है कि लोगों को दिन में कम से कम एक घंटा कोई शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। ‘द लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ के अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन में कहा गया है कि विश्वभर में 85 प्रतिशत लड़कियां और 78 प्रतिशत लड़के प्रतिदिन कम से कम एक घंटे शारीरिक सक्रियता की सिफारिश को पूरा करने में नाकाम हैं। अध्ययन की सहलेखिका लिएने रिले ने कहा कि 2001 से 2016 के बीच इस आयुवर्ग में शारीरिक सक्रियता के मामले में कोई बदलाव नहीं आया।
अध्ययन के अनुसार फिलीपीन में लड़कों से सक्रिय नहीं होने की दर सर्वाधिक (93 प्रतिशत) है जबकि दक्षिण कोरिया में 97 प्रतिशत किशोरियां कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करतीं। किशोरों की पर्याप्त सक्रियता के मामले में अमेरिका, बांग्लादेश और भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा। अध्ययन के अनुसार भारत और बांग्लादेश में क्रिकेट जैसे खेलों के कारण बच्चे मैदान में जाते हैं। किशोरियों के मामले में भी बांग्लादेश और भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा देखा गया। इसमें कहा गया, ‘‘हमारे अध्ययन के अनुसार दोनों देशों में किशोरियों के अपर्याप्त रूप से सक्रिय होने की दर सबसे कम रही। संभवत: इसका कारण सामाजिक कारक हैं, जैसे कि लड़कियों को गृह कार्यों में हाथ बंटाना होता है।''