Edited By Tanuja,Updated: 27 Nov, 2018 03:48 PM
DNA में छेड़छाड़ कर चीन ने दुनिया का पहला डिजाइनर बेबी जोड़ा पैदा किया है। यहां के एक शोधकर्ता का दावा है कि उन्होंने जेनिटिकली एडिटेड ...
बीजिंगः DNA में छेड़छाड़ कर चीन ने दुनिया का पहला डिजाइनर बेबी जोड़ा पैदा किया है। यहां के एक शोधकर्ता का दावा है कि उन्होंने जेनिटिकली एडिटेड (डीएनए में छेड़छाड़) करके जुड़वां बच्चियों (लूलू और नाना) के भ्रूण को विकसित किया, जिनका इसी महीने जन्म हुआ है। मानव भ्रूण में जीन को एडिट करने के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया गय है। शोधकर्ता हे जियांकुई ने कई साल तक लैब में चूहे, बंदर और इंसानों के भ्रूण पर अध्ययन किया। अपनी इस तकनीक के पेटेंट की उन्होंने अर्जी दी है।
इस अध्ययन में अमेरिका के फिजिक्स और बॉयोइंजीनियर प्रोफेसर माइकल डीम भी शामिल थे। चीन और अमेरिका काफी समय से जेनिटिकली एडिटेड भ्रूण पर शोध कर रहे थे। हालांकि, अमेरिका में जीन एडिटिंग प्रतिबंधित है। उनका मानना है कि डीएनए में कृत्रिम तरीके से किया गया परिवर्तन अगली पीढ़ी तक पहुंच सकता है और अन्य जीन्स को भी नुकसान पहुंचा सकता है। चीन में इंसानी क्लोन बनाने और अध्ययन पर बैन है, लेकिन इस तरह के शोध की इजाजत है। लिहाजा, चीन ने दुनिया में पहली बार जेनिटिकली एडिटेड भ्रूण को इंसानी कोख में रखा और इसे पैदा करने में सफलता हासिल की।
हर आदमी की चाहत होती है कि उसका बच्चा स्वस्थ और सुंदर हो। उसके बाल ऐसे हों, आंखें ऐसी हो वगैरह...वगैरह। आज के इस युग में वैज्ञानिक ऐसा करने में भी सक्षम हैं, लेकिन एक तबका इसे कुदरत के नियमों से छेड़छाड़ मानता है। इस तकनीक में भ्रूण के डीएनए से छेड़छाड़ यानी बदलाव किया जाता है। परीक्षण बताते हैं कि जुड़वां बच्चियों में से एक की जीन की दोनों प्रतियों में बदलाव आया है, जबकि दूसरी बच्ची के जीन की सिर्फ एक कॉपी में बदलाव है। हालांकि, इससे उनके जीवन पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। शोधकर्ता हे के मुताबिक, जीन की सिर्फ एक कॉपी में बदलाव वाली बच्ची में एचआइवी संक्रमण की संभावना है और सेहत भी प्रभावित हो सकती है।