Edited By Tanuja,Updated: 02 Mar, 2021 12:49 PM
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार से पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है। अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देश उइगरों को लेकर चीन की खुलेआम खिलाफत पर उतर आए...
इंटरनेशनल डेस्कः चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार से पूरी दुनिया वाकिफ हो चुकी है। अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देश उइगरों को लेकर चीन की खुलेआम खिलाफत पर उतर आए हैं। शिनजियांग में बड़े पैमाने पर उइगर मुस्लिमों के नरसंहार और मानवाधिकार हनन के मामले सामने व जन्म दर-जनसंख्या घटने के आंकड़े सामने आने के बाद ब्रिटेन के नेताओं और शिक्षाविदों ने चीन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।हांगकांग के फ्री प्रेस की जानकारी के मुताबिक शिनजियांग में पिछले दो साल में जन्म दर में दो-तिहाई की कमी आई है।
चीन पर आरोप हैं कि वह शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के साथ ही नरसंहार कर रहा है। उनकी पहचान मिटाने के लिए सुनियोजित तरीके से काम कर रहा है और घटते जन्मदर के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं। उइगरों को प्रताड़ित करने के लिए चीन ने कई डिटेंशन कैंप बना रखे हैं, जिसमें उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं। दुनियाभर के देश चीन द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर उसकी आलोचना कर चुके हैं। अब ब्रिटिश नेताओं और शिक्षाविदों ने उइगर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर चीन के खिलाफ विभिन्न प्रतिबंध लगाए जाने का आग्रह किया है। 'द ओपन फोरम' द्वारा लंदन में हाल ही में आयोजित किए गए एक वेबिनार में, शिनजियांग प्रांत में बढ़ते अत्याचार के मुद्दों पर चर्चा की गई।
चीन कथित रूप से एजुकेशन सेंटर्स के नाम पर कंसनट्रेशन कैंप्स चला रहा है, जिससे लाखों उइगर परिवारों की जिंदगी नरक बनाई जा रही है, लेकिन इसमें रहने वालीं कुछ महिलाओं ने पहली बार ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर्स के सामने कैंप्स को लेकर मुंह खोला और चीन की सच्चाई से दुनिया को वाकिफ करवाया। ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी से तुरसुने जियावुद्दीन ने बताया है कि वे न सिर्फ रेप करते हैं, बल्कि पूरे शरीर पर जगह-जगह काटते भी हैं। आप यह नहीं जान पाते कि वे इंसान हैं या फिर जानवर। जियावुद्दीन उइगर मुसलमान महिला है, जिसे चीन ने अपने कंसनट्रेशन कैंप में बंधक बना रखा था।
बीबीसी की इस रिपोर्ट से वेबिनार की शुरुआत हुई। इसको आईटीवी न्यूज की अमेरिकी कॉरेसपोंडेंट एमा मूर्फी ने मॉडरेट किया। पैनेलिस्टों में से एक प्रोफेसर रेचल हैरिस ने चीन में उइगर महिलाओं द्वारा शेयर की गईं यातनाओं संबंधी जानकारियों के बारे याद दिलाया और कहा कि हमने अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस, स्वीडन, कजाकिस्तान, तुर्की और आदि से उनकी आवाजों को सुना है। उन्होंने आगे कहा, ''इन दावों को खारिज करने का समय चला गया है और यह कहना भी ठीक नहीं है कि हमारे पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं।