श्री चैतन्य महाप्रभु श्री राधा माधव मंदिर प्रताप बाग का हरिनाम संकीर्तन सम्मेलन सम्पन्न

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2019 12:49 PM

shree chaitanya mahaprabhu shri radha madhav mandir

श्री चैतन्य महाप्रभु श्री राधा माधव मंदिर प्रताप बाग में चल रहा 60वां वार्षिक हरिनाम संकीर्तन सम्मेलन त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद भक्ति शोध जितन्द्रीय जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। पदमश्री विजय चोपड़ा जी मुख्यातिथि के रुप में पधारे और उन्होंने...

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जालंधर (वीना जोशी) श्री चैतन्य महाप्रभु श्री राधा माधव मंदिर प्रताप बाग में चल रहा 60वां वार्षिक हरिनाम संकीर्तन सम्मेलन त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद भक्ति शोध जितन्द्रीय जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। पदमश्री विजय चोपड़ा जी मुख्यातिथि के रुप में पधारे और उन्होंने ठाकुर जी की लीलाओं को देखकर हर्ष व्यक्त किया और मंदिर की ओर से किए जा रहे प्रयासों की भरपूर प्रशंसा की। श्री चैतन्य गौडीय मठ की ओर से पहली बार मंदिर में श्री हरिदास ठाकुर जी के जीवन की घटनाओं का मंचन किया गया ताकि भक्त उनके जीवन के बारे में जान सकें। 

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त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद भक्ति विचार विष्णु जी महाराज के संचालन और अगरतला से पधारे ब्रह्मचारी शाम सुन्दर जी के निर्देश में हुए कार्यक्रम में दिखाया गया कि भक्त का यदि विश्वास पक्का है तो उसे कोई भी प्रभु नाम सिमरण से रोक नहीं सकता और कलियुग में हरिनाम संकीर्तन ही मनुष्य के जीवन में मंगल का सर्वश्रेष्ठ साधन है। कन्हाई ब्रह्मचारी ने श्री हरिदास ठाकुर जी की भूमिका निभाई जबकि रोहित घई ने श्री चैतन्य महाप्रभु जी के रुप में अभिनय किया। श्री हरिदास जी का जन्म बंगाल में यवन (मुस्लिम) कुल में हुआ था। वह श्री चैतन्य महाप्रभु जी के सम्पर्क में आए तो हरि जी के रंग में रंगकर हरिनाम संकीर्तन करने लगे। जब मुगल बादशाह को पता चला तो उन्होंने उन्हें हरिनाम छोडक़र अपने धर्म का पालन करने के लिए कहा परंतु जब वह न हटे तो उन्हें 22 बाजारों में घुमा कर कोड़े लगाए गए। राजा के भय से सैनिकों को बचाने के लिए उन्होंने योग क्रिया से श्वासों को रोक लिया और राजा ने उन्हें मृत मानकर गंगा में बहा दिया ताकि यदि उन्हें दफनाया गया तो जन्नत मिल जाऐगी। जब नदी में बहते हुए हरिदास जी गंगा किनारे पहुंचे तो उन्हें होश आ गया और वह फिर से हरिनाम करने लगे तथा दूसरे लोग भी हरिनाम से जुड़ गए। तब हरिदास जी की प्रसिद्घी राजा से भी अधिक हो गई तो राजा ने उनका हरिनाम छुड़वाने के लिए एक वैश्या को उनके पास भेज दिया। हरिदास जी प्रतिदिन 3 लाख हरिनाम का जाप करते थे। एक लाख उच्च, एक लाख मध्यम और एक लाख निम्न स्वर में करते थे। उनके पास अपनी दैनिक नित्य क्रियाओं और सोने के लिए बहुत कम समय मिलता था। वैश्या भी हरिदास ठाकुर जी के जीवन से इतनी प्रभावित हो गई कि उसने भी आखिर एक दिन घर त्यागकर हरिनाम को ही अपना लिया।   

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एक दिन श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने उनकी आयु को देखते हुए कहा कि आप बहुत थक जाते हैं इसलिए जाप की संख्या कुछ घटा दें तो अच्छा होगा परंतु श्री हरिदास जी महाराज ने बड़े विनम्र भाव से कहा कि ‘ मैं इतनी प्रशंसा के काबिल नहीं हूं, परंतु मेरा एक निवेदन है कि मैं आपसे पहले इस देह का त्याग कर दूं क्योंकि मैं आपके विरह को सहन नहीं कर सकता।’ 

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इस बात को सुनकर श्री चैतन्य महाप्रभु जी ने कहा कि ‘ मैं भी आपके विरह को सहन नहीं कर सकता परंतु भगवान इतने कृपालू हैं कि वह अपने भक्त की सभी इच्छाओं की पूर्ति अवश्य करते हैं। इस भावुक वार्तालाप में ही श्री हरिदास जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली और ‘ हा गौरांग’ कहते हुए ही उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। श्री महाप्रभु जी ने उन्हें उठाकर संकीर्तन किया और सागर में उन्हें स्नान करवाकर पुरी में समुद्र किनारे उनकी स्माधि बनाई जो आज भी लोग देखने जाते हैं तथा उनका आशीर्वाद पाते हैं। जिस वकुल के पेड़ के नीचे इन्होंने हरिनाम किया, वह भी आज एक ‘सिद्घ वकुल’ के रुप में जाना जाता है। देश-विदेश से भी भक्तजन उनकी लम्बी एवं मोटी जपमाला के दर्शन करके स्वयं को धन्य मानते हैं।

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मंदिर के प्रधान अमित चड्डा ने अंत में सभी संत महात्माओं, अतिथियों और मंचन करने वाले कलाकारों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। गौर हरि और इसंपैक्टर करतार सिंह ने राजा के सिपाही का अभिनय किया जबकि विजय सगड़ और कुलदीप मेहता ने बादशाह की भूमिका निभाई। समारोह में श्रीमदभक्ति मयूख भिक्षु जी महाराज, त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद भक्ति विचार विष्णु जी महाराज, त्रिदण्डी स्वामी श्रीमद भक्ति प्रकाश तत्पर जी महाराज, त्रिदण्डी स्वामी प्रसाद पर्वत जी महाराज, त्रिदण्डी स्वामी तपस्वी जी महाराज के अतिरिक्त श्री कान्त दास ब्रह्मचारी, दीन बंधु प्रभु, अमरिन्द्र ब्रह्मचारी, प्रवेश प्रभु, राम प्रभु, विष्णु प्रभु और ऋषि प्रभु जी महाराज भी मौजूद थे। 

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इस अवसर पर श्री राम भजन पाण्डे, राजन शर्मा, रेवती रमण गुप्ता, तरसेम लाल गुप्ता, केवल कृष्ण, नरिन्द्र गुप्ता, जवाहर लाल अरोड़ा, आकाश मल्होत्रा, सन्नी दुआ, राजकुमार जिंदल, गगन अरोड़ा, अजय अग्रवाल, राजेश शर्मा, हेमंत थापर, चन्द्रमोहन राय, कपिल शर्मा, इंस्पैक्टर करतार सिंह, ललित चड्डा, रोहित कपूर, अश्विनी मिंटा, ओम भंडारी, देविन्द्र शर्मा, आकाश मल्होत्रा, यंकिल कोहली, नीरज कोहली, अमित अग्रवाल, चेतन दास, पारस खन्ना, गौरव उप्पल, तरसेम लाल गुप्ता, विकास शर्मा, रोहित घई, अजीत तलवार, मनजीत वर्मा, गोपी वर्मा, राजेश खन्ना, वैभव शर्मा, नरिन्द्र कालिया, संजीव कालिया, असीम कृष्ण दास, विजय सगगड़, दीपक खन्ना, सुरिन्द्र सिंह, रामदेव वर्मा, गोपाल कृष्ण, गुरवरिन्द्र, जवाहर लाल अरोड़ा, प्रेम चोपड़ा, विकास ठुकराल, नवल, गौर हरि, नंदन शर्मा, सत्यव्रत गुप्ता, गुलशन, डा. मुनीश अग्रवाल व अन्य भी मौजूद थे।

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