Edited By rajesh kumar,Updated: 08 Feb, 2020 01:19 PM
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और कहा कि एहतियातन हिरासत कोई दंडात्मक कदम नहीं है। न्यायमूर्ति ताशी रबस्तान...
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी और कहा कि एहतियातन हिरासत कोई दंडात्मक कदम नहीं है। न्यायमूर्ति ताशी रबस्तान ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई दम नहीं है।
अदालत ने कहा कि एहतियातन हिरासत दंडात्मक नहीं बल्कि एहतियातन कार्रवाई है। इसे लागू करने का मकसद यह है कि किसी व्यक्ति को निश्चित चीजों के प्रति पक्षपाती रवैया अख्तियार करने से रोका जाए। एहतियातन हिरासत के बारे में यह कानून यही बताना चाहता है।
कयूम को पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने की केंद्र की घोषणा के बाद हिरासत में लिया गया था। कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को आगरा में एक जेल में भेज दिया गया जहां उनकी सेहत की हालत बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें पिछले सप्ताह दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया।