एग्जिट पोल से निकले 10 सियासी संकेत

Edited By Seema Sharma,Updated: 22 May, 2019 09:43 AM

10 political indications from exit poll

लोकसभा चुनाव-2019 के आखिरी चरण की वोटिंग होने के बाद रविवार को कई न्यूज एजैंसियों और चैनलों के एग्जिट पोल आ गए, जिनमें भाजपा की एक बार फिर सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई।

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव-2019 के आखिरी चरण की वोटिंग होने के बाद रविवार को कई न्यूज एजैंसियों और चैनलों के एग्जिट पोल आ गए, जिनमें भाजपा की एक बार फिर सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई। यदि यह सही रहे तो सरकार बनने के बाद क्या राजनीतिक स्थितियों में भी कुछ बदलाव आएगा। आखिर एग्जिट पोल के क्या संकेत हैं, किस मुद्दे पर राजग को कामयाबी मिलने के संकेत हैं। अगर यही नतीजे आए तो देश की राजनीतिक स्थिति पर क्या असर होगा।

जानते हैं इसके अहम 10 संकेत:-
मोदी मैजिक का बड़ा वर्जन

एग्जिट पोल से यह साफ संकेत मिला है कि इस बार नरेन्द्र मोदी सबसे मजबूत नेता बनकर उभरे हैं। उनके सामने विपक्ष का कोई नेता टिकता नजर नहीं आया। ऐसे में उनका दबदबा अगले 5 वर्ष तक बने रहने की संभावना है और फिलहाल उनके मजबूत नेतृत्व को कोई चुनौती देता नहीं दिख रहा।

राष्ट्रवाद बना हथियार
इस चुनाव में राष्ट्रवाद के मुद्दे ने विपक्ष को धराशायी कर दिया। जिस तरह से सरकार ने पुलवामा के बाद पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, उससे भी लोगों में इस सरकार के प्रति भरोसा मजबूत हुआ है। हालांकि मोदी सरकार की योजनाओं का भी कुछ जगह असर हुआ है।

राहुल-प्रियंका पर फिर सवाल
अगर एग्जिट पोल की तरह ही आखिरी नतीजे आए तो जाहिर है कि राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। इस बार चूंकि प्रियंका गांधी भी सक्रिय राजनीति में आ गईं इसलिए यह भी माना जाएगा कि प्रियंका गांधी का भी राजनीति में श्रीगणेश ठीक नहीं रहा। जाहिर है कि इस स्थिति में कांग्रेस और कमजोर होगी।

विपक्ष के बिखरने की आशंका
इस बार विपक्ष में एकता नजर नहीं आई लेकिन आने वाले वक्त में यह भी हो सकता है कि विपक्ष में और बिखराव नजर आए। मसलन कर्नाटक जैसे राज्य जहां कांग्रेस और जे.डी.एस. की सरकार चल रही है, वहां भाजपा को सेंध लगाने में कामयाबी मिल सकती है।

गठबंधन रहेगा कायम
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अधिकतर एग्जिट पोल इस गठबंधन को उतनी कामयाबी मिलती नहीं देख रहे, जिसके आधार पर इसका गठन हुआ था। ऐसे में एग्जिट पोल वाले नतीजे आए तो इसका सबसे बड़ा असर इन दोनों दलों के गठबंधन के टूटने के रूप में नजर आ सकता है।

अमित शाह और मजबूत होंगे
अमित शाह की धाक और मजबूत हो सकती है। माना जाएगा कि उनकी रणनीति बेहद कारगर होती नजर आई है। ऐसे में पार्टी के भीतर जो लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि अगर कमजोर नतीजे आए तो पार्टी के अंदरुनी समीकरण बदलेंगे, वह पूरी होती नजर नहीं आएगी।

सहयोगी दलों में होगी बढ़ौतरी
राजग की सरकार बनने के बाद अगर भाजपा इतनी ही मजबूती से वापसी करती है तो राजग के सहयोगी दल सरकार में तो होंगे लेकिन उनकी प्रासंगिकता पहले की तरह ही रहेगी। उसमें कोई बढ़ौतरी होने की संभावना नहीं है। वे अपनी शर्तों पर नहीं बल्कि भाजपा की शर्तों पर ही राजग में रह सकेंगे।

क्षेत्रीय दलों का टकराव
एग्जिट पोल के संकेत नतीजों में बदले तो हो सकता है कि भाजपा और क्षेत्रीय दलों के बीच टकराव में कमी आए और वे भाजपा के साथ नजदीकियां बढ़ाएं लेकिन पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में क्या होगा? इसका पता चुनाव के पश्चात वास्तविक नंबरों के आने के बाद ही चल पाएगा।

कांग्रेस सरकारों पर संकट
अगर नतीजे एग्जिट पोल की तरह ही आए तो कांग्रेस की ऐसी सरकारों पर संकट आ सकता है जो बेहद कम बहुमत से चल रही हैं या फिर सहयोगी दलों की बैसाखियों पर हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश में यही स्थिति हो सकती है। मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस के पास अपना बहुमत ही नहीं है।

भाजपा का दबदबा
इस चुनाव से ये संकेत भी मिले हैं कि भाजपा का आधार सिर्फ ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा है लेकिन हिन्दी बैल्ट में जरूर उसने बाकी दलों को बैकफुट पर धकेल दिया है। ऐसे में हिन्दी बैल्ट में भाजपा के खिलाफ जो भी दल हैं, वे बेहद कमजोर होते नजर आ रहे हैं।

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