भारत-अमरीका में बढ़ा तनाव, दूसरी बार टली 2+2 वार्ता

Edited By Tanuja,Updated: 28 Jun, 2018 10:55 AM

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भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमरीका ने बुधवार को एक बार फिर से दोनों देशों के बीच होने जा रही पहली उच्च स्तरीय 2+2 वार्ता को टाल दिया है। यह वार्ता 6 जुलाई से वॉशिंगटन में शुरू होने वाली थी। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से साफ है कि नई दिल्ली अब उसकी...

वॉशिंगटनः भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमरीका ने बुधवार को एक बार फिर से दोनों देशों के बीच होने जा रही पहली उच्च स्तरीय 2+2 वार्ता को टाल दिया है। यह वार्ता 6 जुलाई से वॉशिंगटन में शुरू होने वाली थी। ट्रंप प्रशासन के इस कदम से साफ है कि नई दिल्ली अब उसकी प्रमुखता में नहीं है। उन्होंने अपने भारतीय समकक्षों को इसकी जानकारी दे दी है कि अमरीकी रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री की उनके भारतीय समकक्षों के साथ 6 जुलाई से वॉशिंगटन में प्रस्तावित वार्ता कुछ अपरिहार्य कारणों से टाल दी गई है। 

इसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी कि अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने सुषमा स्वराज से बात की है और वार्ता टालने के लिए खेद व्यक्त किया है। रवीश कुमार ने कहा कि दोनों नेताओं ने जल्द से जल्द इस वार्ता के लिए फिर से तारीख तय करने पर भी सहमति जताई है। इससे पहले यह वार्ता इसी साल मार्च में होनी थी जिसे टाल कर जुलाई में वार्ता होने जा रही थी। हालांकि, तब यह वार्ता इसलिए संभव नहीं हो सकी थी क्योंकि उस समय ट्रंप ने अपने तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को पद से हटा दिया था। सूत्रों की मानें तो मौजूदा विदेश मंत्री जिम मैटिस भी ट्रंप की आंखों में खटक रहे हैं। 

यह वार्ता ऐसे समय में टली है जब वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच खटास बढ़ती जा रही है। भारत को अमरीका की ओर से दो तरफा प्रतिबंधों का डर है। पहला अगर वह रूस के साथ S-400 मिसाइल सिस्टम समझौता करता है तो, और दूसरा अगर भारत ईरान से तेल आयात करना बंद नहीं करता है तो। दोनों देशों के बीच व्यापार और टैरिफ मुद्दे को लेकर भी काफी तनाव उपज गया है। खासतौर पर ट्रंप ने जबसे भारत में हर्ली डेविडसन बाइकों पर ऊंचा शुल्क लगाए जाने का मुद्दा उठाया है। 

6 जुलाई को प्रस्तावित वार्ता को टालने का कारण फिलहाल पता नहीं लगा है लेकिन व्यापक तौर पर इसे यही माना जा रहा है कि भारत अब ऐसे प्रशासन की प्रमुखता नहीं है जिसकी विदेश नीति स्पष्ट नहीं है और बस 'अमेरिका फर्स्ट' की रट लगाए हुए है। ट्रंप ने अमेरिका के लगभग हर सहयोगी देश का अपमान किया है, फिर वह पड़ोसी कनाडा और मेक्सिको हों या फिर ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया, यूरोपियन यूनियन। एक कयास यह भी है कि भारत के साथ वार्ता टालने के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद ट्रंप और पुतिन के बीच समिट का आयोजन करना भी है। संभावना है कि यह वार्ता 15 जुलाई से पहले विएना या हेलसिंकी में हो सकती है। ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन वार्ता की तैयारी के लिए मॉस्को में हैं और राष्ट्रपति के चहेते फिलहाल इस वार्ता के लिए किसी भी चीज को टालने के लिए तैयार हैं, जो साफ तौर पर ट्रंप की प्रमुखता है। 
 

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