4 प्रमुख कारक जिसके आधार पर बैंक आपकी पर्सनल लोन एप्लीकेशन चेक करते हैं

Edited By Parveen Kumar,Updated: 29 Dec, 2023 07:12 PM

4 major factors on the basis of which banks check your personal loan application

पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन है, मतलब इसे लेने के लिए आवेदकों को किसी तरह का कोलैटरल या सिक्योरिटी देने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। कोलैटरल न होने की वजह से आवेदकों के लिए यह लोन लेना आसान हो जाता है, पर इसी कारण लेंडर्स का क्रेडिट रिस्क भी बढ़ जाता है।

नई दिल्ली : पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन है, मतलब इसे लेने के लिए आवेदकों को किसी तरह का कोलैटरल या सिक्योरिटी देने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। कोलैटरल न होने की वजह से आवेदकों के लिए यह लोन लेना आसान हो जाता है, पर इसी कारण लेंडर्स का क्रेडिट रिस्क भी बढ़ जाता है। जिसे कम करने के लिए वे लोन की सख्त योग्यता शर्तें निर्धारित करते हैं और आवेदकों की लोन एप्लीकेशन भी सख्ती से चेक करते हैं। अगर आप पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं तो अप्लाई करने से पहले इसकी योग्यता के प्रमुख कारकों को समझें।

क्रेडिट स्कोर

आमतौर पर, 750 और उससे अधिक क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को कम इंटरेस्ट रेट पर आसानी से लोन मिलने की उम्मीद होती है, इसलिए अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाएं। इसके लिए पनी लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर करें, कम समय में कई बार लोन व क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई न करें, अगर किसी लोन के लिए गारंटर बनें हैं तो उसके भुगतान पर नज़र रखें आदि।

लोन रिपेमेंट क्षमता

किसी आवेदक का लोन अप्रूव करने से पहले बैंक/एनबीएफ़सी यह देखते हैं कि वह कस्टमर लोन ईएमआई का भुगतान कर पाएगा या नहीं। यानी कस्टमर के वर्तमान देनदारियों के आधार पर बैंक उनकी भुगतान क्षमता का आकलन करते हैं। बैंक आमतौर पर उन आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं जो अपनी इनकम का 50 से 55% तक ही कुल ईएमआई (जिस पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया है उसकी ईएमआई सहित) भुगतान में खर्च करते हैं। क्योंकि उनके लोन डिफॉल्ट होने की संभावना कम होती है।

जिन आवेदकों की सैलरी का ज्यादा हिस्सा ईएमआई भुगतान में जाता है, बैंक उन्हें लोन देने से बचते हैं और अगर लोन देते भी है तो इंटरेस्ट रेट हाई चार्ज करते हैं। ऐसे आवेदक लोन की अवधि बढ़ाकर या लोन राशि कम करके लोन आसानी से पा सकते हैं। इसलिए पर्सनल लोन की भुगतान अवधि चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि टोटल ईएमआई आपकी इनकम के 50 से 55% से ज्यादा ना हो।

जॉब/बिजनेस स्टेबलिटी

बैंक/एनबीएफसी अक्सर पर्सनल लोन एप्लीकेशन का मूल्यांकन करते समय आवेदक की एम्पलॉयमेंट हिस्ट्री और जॉब स्टेबलिटी को ध्यान में रखते हैं। बार-बार नौकरी बदलने की आदत को बैंकों द्वारा अस्थिरता के रूप में जाना जाता है, वे उन लोगों को लोन देने में संकोच कर सकते हैं जो अक्सर अपनी नौकरी बदलते हैं। क्योंकि ऐसे आवेदकों का लोन डिफॉल्ट होने की संभावना अधिक होती है।

आवेदक की जॉब प्रोफाइल

लोन देने से पहले बैंक/एनबीएफसी आवेदक की जॉब प्रोफाइल भी चेक करते हैं। नौकरी और गैर-नौकरीपेशा आवेदकों में से बैंक नौकरीपेशा आवेदक को लोन देना पसंद करते हैं। खासकर यदि वो सरकारी, MNCs या किसी प्रतिष्ठित प्राइवेट कंपनी में काम करते हो। क्योंकि उनकी जॉब सिक्योरिटी अधिक होती है। वहीं, गैर-नौकरीपेशा या बिजनेस करने वाले आवेदकों की जॉब सिक्योरिटी नौकरीपेशा आवेदक की तुलना में कम होती है।

तो ये थी वो शर्तें जिनके आधार पर बैंक व एनबीएफसी लोन देन के लिए आवेदक का मूल्यांकन करते हैं। क्योंकि पर्सनल लोन की जरूरत आपको जीवन में कभी भी पड़ सकती है इसलिए हमेशा अपने क्रेडिट प्रोफाइल को सही रखें। ताकि जरूरत आने पर आपका पर्सनल लोन रिजेक्ट न हो। अगर आप पर्सनल लोन से जुड़ी ऐसी ही और अधिक जानकारी चाहते हैं तो फ़िन-शास्त्र पढ़ें।

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