दुश्मनों को समुद्र में पछाड़ने की तैयारी में भारत, नौसेना में शामिल होगी 6 पनडुब्बियां

Edited By vasudha,Updated: 21 Jun, 2019 01:22 PM

6 submarines to be built under make in india

अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और समुद्री सुरक्षा से संबंधित हालिया घटनाओं के बीच भारतीय नौसेना अपनी शक्ति बढ़ाने जा रही है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढावा देते हुए नौसेना के लिए 45 हजार करोड़ रूपये की लागत से पी-75 (आई) श्रेणी...

नेशनल डेस्क: अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और समुद्री सुरक्षा से संबंधित हालिया घटनाओं के बीच भारतीय नौसेना अपनी शक्ति बढ़ाने जा रही है। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढावा देते हुए नौसेना के लिए 45 हजार करोड़ रूपये की लागत से पी-75 (आई) श्रेणी की 6 पनडुब्बी देश में ही बनाने के लिए भारतीय कंपनियों के चयन के वास्ते अभिरूचि पत्र जारी किया है। मोदी सरकार ने दूसरी बार सत्ता में आने के एक महीने के अंदर ही यह बड़ा कदम उठाया है। रक्षा खरीद नीति के महत्वपूर्ण पहलू सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत मंजूर की गयी यह दूसरी बड़ी परियोजना है।
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इससे पहले नौसेना के लिए ही 111 हेलिकॉप्टरों की खरीद भी इसी मॉडल के तहत करने का निर्णय लिया जा चुका है। इस मॉडल के तहत भारतीय कंपनी अपने विदेशी भागीदार के साथ मिलकर देश में ही विभिन्न सैन्य प्लेटफार्म बनाती है।  इस कदम से पनडुब्बियों के स्वदेशी डिजायन, प्रौद्योगिकी तथा निर्माण क्षमता को बढावा मिलेगा। रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद परिषद ने इस सौदे को गत 31 जनवरी को मंजूरी दी थी। इस परियोजना से संबंधित अभिरूचि पत्र के बारे में जानकारी रक्षा मंत्रालय और नौसेना की वेबसाइट पर डाल दी गयी है। 

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परियोजना के वास्ते विदेशी भागीदार कंपनियों के चयन के लिए अभिरूचि पत्र दो सप्ताह में जारी किया जायेगा। सामरिक मॉडल के तहत भारतीय कंपनी अपनी विदेशी भागीदार कंपनी के साथ मिलकर देश में उत्पादन इकाई बनायेगी और पनडुब्बियों का डिजायन तथा प्रौद्योगिकी हासिल करेगी। इस परियोजना से देश में पनडुब्बी और समुद्री पोत के निर्माण को तो बढावा मिलेगा ही रक्षा उद्योग क्षेत्र को भी इससे मजबूती मिलेगी।  परियोजना के लिए भारतीय कंपनियों को दो महीने के अंदर जानकारी देनी है।
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इन कंपनियों का चयन उनकी क्षमता और इस क्षेत्र में विशेज्ञता के आधार पर किया जायेगा जबकि विदेशी कंपनियों को नौसेना की डिजायन, जरूरत और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मानदंडों की कसौटी पर परखा जायेगा। सरकार मेक इन इंडिया के तहत रक्षा क्षेत्र की घरेलु कंपनियों की क्षमता बढाने की दिशा में काम कर रही है जिससे कि सशस्त्र बलों की हथियारों, रक्षा प्लेटफार्म और अन्य साजो सामान की जरूरतों को पूरा किया जा सके तथा देश रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन सके।   

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