कोटा: नहीं थम रहा बच्चों की मौत का सिलसिला, अब तक 100 की मौत

Edited By shukdev,Updated: 02 Jan, 2020 02:31 AM

9 more children killed in kota in 48 hours 100 dead so far

राजस्थान के कोटा में अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है। 9 और बच्चों की मौत से आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। अधिकारियों ने कहा कि जेके लोन अस्पताल में पिछले दो दिन में 9 और बच्चों की मौत हुई है, जिसके बाद अब तक 100 बच्चों की मौत हो चुकी...

जयपुर: राजस्थान के कोटा में अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है। 9 और बच्चों की मौत से आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। अधिकारियों ने कहा कि जेके लोन अस्पताल में पिछले दो दिन में 9 और बच्चों की मौत हुई है, जिसके बाद अब तक 100 बच्चों की मौत हो चुकी है। 23-24 दिसंबर को 48 घंटे की अवधि के दौरान सरकारी अस्पताल में 10 बच्चों की मौत के बाद राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है।

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उल्लेखनीय है कि कोटा के जे के लोन अस्पताल में 23-24 दिसम्बर को दस शिशुओं की मौत हो गई थी। तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक पर काम कर रहा है और अस्पताल में बेहतर चिकित्सा देखभाल के लिए और सुधार की आवश्यकता है। राजस्थान में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार 10 में से आठ शिशुओं को गंभीर हालत में अन्य अस्पतालों से यहां भेजा गया था, जबकि दो बच्चों का जन्म अस्पताल में ही हुआ था। उन्होंने बताया कि सभी को उचित उपचार दिया गया था। 

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कमेटी ने मेडिकल रिकार्ड की जांच की और पाया कि जिनको वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत थी, उन्हें उचित उपचार दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा जिन 10 मासूमों की मौत हुई है, वे समय से पहले जन्म के कारण अधिक जोखिम में थे। गालरिया ने कहा, “समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक काम कर रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या की तुलना में बिस्तर कम हैं। इसी तरह की स्थिति आईसीयू में भी है। बिस्तर की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि मासिक आधार पर अस्पताल में फैले संक्रमण के नमूने लेने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले ये नमूने तीन माह में एक बार लिए जा रहे थे। वहीं आईसीयू और एनआईसीयू में आक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडर के बजाय पाइपलाइन के जरिए करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सचिव ने कहा कि अस्पताल अधीक्षक को उनके पद से हटा दिया गया है क्योंकि अस्पताल में बहुत से यंत्र वार्षिक सुधार प्रक्रिया नहीं होने के कारण बेकार पड़े हुए थे। राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच दल में डॉक्टर अमरजीत मेहता, डॉक्टर रामबाबू शर्मा और डॉक्टर सुनील भटनागर शामिल थे। 

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उल्लेखनीय है अस्पताल में 100 शिशुओं की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक दल ने सोमवार को अस्पताल का निरीक्षण किया और कहा कि वहां की स्थिति बहुत खराब है, दरवाजे खिड़कियां टूटे हुए हैं, कर्मचारियों की कमी है और अस्पताल परिसर में सूअर घूमते नजर आते है। इस मुद्दे पर भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरते हुए चार सांसदों के दल का गठन किया है, जिसमें जसकौर मीणा, लोकेट चटर्जी, भारती पंवार और कांता करदम शामिल हैं। ये दल तीन दिन में अपनी रिपोर्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा को देगा। सांसदों की जांच कमेटी ने मंगलवार को अस्पताल का दौरा किया।

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पश्चिम बंगाल की महिला मोर्चे की प्रदेश अध्यक्ष और हुगली से सांसद लोकेट चटर्जी ने आरोप लगाया कि गहलोत झारखंड में जाकर जश्न मना रहे है, जबकि उनके पास मासूमों की मां के आसूं पोछने का समय नहीं है। चटर्जी ने मंगलवार को अस्पताल में शिशुओं की मौत के बारे में जानकारी लेने के बाद  कहा, “मासूम बच्चों की मौत लेकर यहां गंभीर परेशानी चल रही है, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झारखंड जाकर सरकार का जश्न मना रहे हैं।” उन्होंने मांग की कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यहां आना होगा।

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