Edited By shukdev,Updated: 24 Nov, 2018 05:22 PM
गंगा नदी का प्रवाह उस पर बने 900 से अधिक बांधों और बैराजों के चलते बाधित हो गया है और उसका संरक्षण खतरे में है। यह बात पर्यावरणविदों ने कही है। पर्यावरणविदों ने कहा कि नदी के संरक्षण के लिए उसका प्रवाह सुधारा जाना चाहिए और शहरों से उसमें छोड़े जाने...
नई दिल्ली: गंगा नदी का प्रवाह उस पर बने 900 से अधिक बांधों और बैराजों के चलते बाधित हो गया है और उसका संरक्षण खतरे में है। यह बात पर्यावरणविदों ने कही है। पर्यावरणविदों ने कहा कि नदी के संरक्षण के लिए उसका प्रवाह सुधारा जाना चाहिए और शहरों से उसमें छोड़े जाने वाले ठोस अपशिष्ट पर रोक लगनी चाहिए।
पर्यावरणविद एवं जल संसाधन विशेषज्ञ रवि चोपड़ा ने कहा कि सरकार गंगा की सफाई ध्यान केंद्रित कर रही है, उसके संरक्षण पर नहीं। नदी का प्रवाह सुधारना उसका संरक्षण करने का सबसे अच्छा तरीका है। चोपड़ा ‘कैन इंडिया रेजुवेनेट गंगा’ विषयक कार्यक्रम में बोल रहे थे। पर्यावरणविदों ने एक संयुक्त प्रस्तुति में दावा किया कि गंगा नदी पर 940 बांध, बैराज बनाए गए हैं और ये उसके प्रवाह को बाधित कर रहे हैं और उसके संरक्षण में एक गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
एक अन्य पर्यावरणविद मनोज मिश्रा ने कहा कि शहरों से ठोस अपशिष्ट और औद्योगिक कचरा नदी में डाला जाना गंगा के प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा, ‘मलजल गंगा में 80 प्रतिशत प्रदूषण उत्पन्न करता है और कुल मलजल में से 52 प्रतिशत नदी में बिना शोधित छोड़ा जाता है।’
मिश्रा ने कहा कि सबसे अधिक अपशिष्ट उत्तर प्रदेश से नदी में छोड़ा जाता है जहां से प्रतिदिन 761 टन मलजल छोड़ा जाता है। इसके बाद दूसरे नम्बर पर बिहार और तीसरे पर पश्चिम बंगाल आते हैं जहां से क्रमश: 99.50 टन प्रतिदिन और 97 टन प्रतिदिन छोड़ा जाता है। उन्होंने गंगा नदी का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए नदी का प्रवाह सुधारने की जरूरत पर बल दिया।