Edited By Pardeep,Updated: 19 Sep, 2020 04:15 AM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्राथमिकता पूरी तरह से सेहत ठीक होने के बाद भारत की प्रमुख कंपनी एयर इंडिया को बिक्री करने की होगी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजैंडे में सबसे ऊपर है और अगले साल 31 मार्च से पहले बेचे जाने वाले 26 सार्वजनिक...
नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्राथमिकता पूरी तरह से सेहत ठीक होने के बाद भारत की प्रमुख कंपनी एयर इंडिया को बिक्री करने की होगी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजैंडे में सबसे ऊपर है और अगले साल 31 मार्च से पहले बेचे जाने वाले 26 सार्वजनिक उपक्रमों में शामिल है। अमित शाह बेचने वाले मंत्रियों के समूह (जी.ओ.एम.) के अध्यक्ष हैं जो कि 31 मार्च से पहले एयर इंडिया, बी.पी.सी.एल. और अन्य उपक्रमों की बिक्री करेगा।
एयर इंडिया को बेचना नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है। वहीं टाटा समूह खरीद के लिए कुछ हद तक एक राय नहीं है क्योंकि वह पहले से ही एयर एशिया और विस्तारा का संचालन कर रहा है और सी.ई.ओ. एन. चंद्रशेखरन इस व्यवसाय में ज्यादा धन लगाने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
अब सरकार एक और रियायत दे रही है; वह एयरलाइन के पूरे कार्यशील पूंजी ऋण को लगभग 15,500 करोड़ रुपए तक माफ कर सकती है। इससे संभावित खरीदारों के लिए ऋण का बोझ लगभग 20,000 करोड़ रुपए तक कम हो जाएगा। सरकार द्वारा एयर इंडिया की बिक्री से पहले एयरलाइन के वैंडरों और तेल कंपनियों जैसे विक्रेताओं को 22,000 करोड़ रुपए के बकाया का भुगतान करने की संभावना है। सरकार ने पहले एयर इंडिया के लिए 29,400 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। एयर इंडिया का कुल कर्ज लगभग 60,000 करोड़ रुपए है, जिसमें कंपनी ने स्वयं लगभग 30,600 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। अब इसमें से सरकार ने ऋण देनदारी को और कम कर दिया है।
एयर इंडिया की अन्य देनदारियों की राशि 22,000 करोड़ रुपए है जिसमें 12,500 करोड़ रुपए विमान के खिलाफ ऋण, 2030-31 तक एयरबस विमानों के लिए 5,500 करोड़ रुपए और 6 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर्स के लिए 7,000 करोड़ रुपए के ब्रिज लोन शामिल हैं। 7,000 करोड़ रुपए के ब्रिज लोन का बिक्री और पट्टे या एकमुश्त खरीद के माध्यम से भुगतान किया जाएगा। दो खाड़ी देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों के चलते हुए खरीद में रुचि दिखाई है। सरकार 2020-21 के दौरान 8 प्रतिशत बजट घाटे को पाटने के लिए पी.एस.यू. की बिक्री से कम से कम दो लाख करोड़ रुपए पाने की इच्छुक है।