Edited By ,Updated: 18 Jun, 2015 12:46 PM
जैन साधुओं ने अपने अनुयायियों को नान, कुल्चा और रूमाली रोटी खाने की बजाए सादी रोटी खाने की सलाह दी। उनका मानना है कि रेस्टोरेंट में नान, कुल्चा को मुलायम बनाने के लिए अंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
मुंबई: जैन साधुओं ने अपने अनुयायियों को नान, कुल्चा और रूमाली रोटी खाने की बजाए सादी रोटी खाने की सलाह दी। उनका मानना है कि रेस्टोरेंट में नान, कुल्चा को मुलायम बनाने के लिए अंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जैन गुरु हैमचन्द्र सूरिश्वरजी महाराज ने अपने अनुयाइयों से कहा है कि अगर वे जैन धर्म के अहिंसा सिद्धांत का गंभीरता से पालन करना चाहते हैं तो सादी रोटी श्रेष्ठ विकल्प है। इस मुद्दे पर लंबे समय से बहस चल रही है कि अंडे शाकाहारी हैं या मांसाहारी। हमारे धर्म में हम इन्हें मांसाहारी ही मानते हैं। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि रेस्टोरेंट रोटियों को मुलायम रखने के इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। जैन गुरु ने इस संदेश को अपने 500 से ज्यादा अनुयाइयों तक पहुंचाया है।