राजस्थान: कांग्रेस CM उम्मीदवार की रेस में घमासान, एक सियासत का बाजीगर तो दूसरा युवा नेता

Edited By Anil dev,Updated: 07 Dec, 2018 10:51 AM

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राजस्थान का रण अपने चरम पर पहुंच चुका है। आज जनता अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनकर वोट करेगी। कांग्रेस ने भी राजस्थान में अपने दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

नई दिल्ली: राजस्थान का रण अपने चरम पर पहुंच चुका है। आज जनता अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनकर वोट करेगी। कांग्रेस ने भी राजस्थान में अपने दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस हाई कमान ने प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मैदान में उतारकर राजनैतिक माहौल को गर्म कर दिया है। हालांकि इस चुनाव में सचिन पायलट ही पार्टी के लिए एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। दरअसल राजस्थान में इस बार कांग्रेस की स्थिति मजबूत दिख रही है। जिसके चलते पार्टी में टिकट मांगने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या भी काफी ज्यादा है। इसी वजह से पार्टी के वरिष्ठ लोगों को टिकट देने के लिए काफी मंथन करना पड़ा। इसके बाद कुछ नाराज कार्यकर्ताओं की नाराजगी तब साफ देखने को मिली तब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास के बाहर अनशन के साथ हंगामा शुरु कर दिया। 

पायलट और गहलौत दोनों मैदान में
दरअसल राजस्थानस में कांग्रेस के लिए दो बड़े नाम अशोक गहलौत और सचिन पायलट हैं। इन दोनों के बीच काफी समय से राजस्थान में अव्बल साबित होने के लिए रेस चल रही थी। कई बार ये दोनों नेता टिकट बटबारे को लेकर आमने-सामने भी आ चुके हैं। जिसके बाद सीधा सवाल यह था कि आखिर पार्टी के लिए कौन चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री पद का दावेदार बन सकता है। हालांकि अब दोनों के मैदान में उतरने के बाद पार्टी हाईकमान के लिए इस बात की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दोनों ही नेता राजनिती के दिग्गज माने जाते हैं। एक और गहलोत इस खेल के पुराने खिलाड़ी हैं तो पायलट युवाओं की पहली पसंद बनकर उभर रहे हैं। 

अशोक गहलोत का राजनैतिक सफर
अशोक गहलोत को राजनीति में एक अलग ही मुकाम हांसिल है। वह अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे जिसके बाद साल 1980 में उन्होंने पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीति में धमाकेदार एंट्री मारी। इसके बाद वह 1984, 1991, 1996 और 1998 में लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद भवन पहुंचे। संसद भवन में अपनी धाक जमाने के बाद गहलोत ने राज्य स्तर पर राजनीति करने का फैसला लिया। इसके बाद गहलोत साल 1999 में पहली बार सरदारपुरा जोधपुर से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वह 2003 और 2008 में भी इसी सीट से चुनाव जीते। अशोक गहलोत दो बार राजस्थान के सीएम भी बन चुके हैं। वह साल1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे। इसके अलावा वह इंद्रा सरकार सहित तीन बार केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। 

सचिन पायलट की राजनैतिक जड़ें
सचिन पायलट काग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट के बेटे हैं। जिससे पार्टी में उनकी छवि विशेष तौर पर है। पायलट विदेश में शिक्षा प्राप्त करके भारत वापस लौटने पर राजनीति में कूद गए। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर राजनैतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की लिहाजा वह 2004 में दौसा सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद भवन की चौखट तक पहुंचे। जिसमें उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 1.2 लाख वोटों से हराया। खास बात ये है कि वह 26 साल की उम्र में भारतीय सांसद बनने वाले पहले व्यक्ति बने। 

गहलोत - पायलट में अव्बल की जंग
राजस्थान में इन दोनों नेताओं में मुख्यमंत्री बनने के लिए आंतरिक जंग चल रही है। हालांकि गहलोत के लिए अपने चुनावी मैदान से जीत दर्ज करना काफी हद तक आसान है। क्योंकि वह पुराने समय से राजस्थान की राजनीति मे बड़े खिलाड़ी रहे हैं। लोकसभा हो या विधानसभा सभी जगहों पर गहलोत ने अपना लोहा मनवाया है। इसके विपरित सचिन पायलट पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर रहे हैं। लिहाजा उनके लिए जीत की राह आसान नहीं होगी। हालांकि सचिन को फिलहाल काफी लोकप्रिय नेताओं में देखा जाता है। इसके बावजूद भी गहलोत के सामने सीएम पद की दावेदारी ठोकना किसी बहुत बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।

चुनाव हारते ही दौड़ से बाहर होंगे पायलट
एक बात तो साफ है कि अगर पायलट विधानसभा चुनाव हार जाते हैं तो वद सीएम की रेस से बाहर हो जाएंगे। दरअसल उनके लिए बड़ी चुनौती है कि लोग उन्हें बाहर का समझते हैं, क्योंकि वह यूपी के नोएडा के रहने वाले हैं। इस लिहाज से उनके लिए राजस्थान में कोई ऐसी कोई सेफ सीट नहीं है जिससे वे सीट पर जाए बिना चुनाव जीत जाएं। इस लिहाज से अगर हम देखें तो साफ तौर पर अशोक गहलोत का पलड़ा काफी भारी दिख रहा है। जिसके चलते अगर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री का चेहरा देखना काफी दिलचस्प होगा। 

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