BJP के खिलाफ राज्य-वार गठबंधन की तैयारी

Edited By Anil dev,Updated: 11 Dec, 2018 10:09 AM

assembly election 2018 rajasthan madhya pradesh and chhattisgarh bjp

राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के परिणाम से पहले सोमवार को विपक्षी दलों ने दिल्ली में बैठक की और आने वाले संसद सत्र के अलावा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की।

जालंधर(नरेश कुमार): राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के परिणाम से पहले सोमवार को विपक्षी दलों ने दिल्ली में बैठक की और आने वाले संसद सत्र के अलावा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। लोकसभा चुनाव दौरान भाजपा के खिलाफ बनने वाले सम्भावित गठबंधन को लेकर भी मीटिंग में चर्चा हुई है। हालांकि बैठक दौरान सभी दल किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच सके लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा को रोकने के लिए राज्य स्तर पर गठबंधन करने को लेकर सहमति बन सकती है।  कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. का गठबंधन पहले से है लेकिन जिन राज्यों में कांग्रेस का मजबूत आधार नहीं है वहां कांग्रेस सीटों की संख्या पर समझौता करके विपक्षी वोटों के बिखराव को रोकने के लिए विपक्ष का साथ दे सकती है लेकिन किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले कांग्रेस को मंगलवार को आने वाले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार है। इन नतीजों के परिणाम के आधार पर ही कांग्रेस अपनी अगली रणनीति तय करेगी।

इन 89 सीटों पर सीधा मुकाबला
मध्य प्रदेश (29), राजस्थान (25), गुजरात (26), हिमाचल प्रदेश (4) और उत्तराखंड की (5) सीटों को मिलाकर कुल 89 सीटों पर कांग्रेस का भाजपा के साथ सीधा मुकाबला होगा। पिछले चुनाव दौरान भाजपा इन 89 सीटों में से 87 सीटें जीत गई थी। 4 राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था जबकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 2 सीटें हासिल हुई थीं। कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि पार्टी ने मध्य प्रदेश की रतलाम, राजस्थान की अलवर व अजमेर सीटों पर हुए उप-चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के अलावा गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। आज आ रहे राजस्थान व मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांगे्रस की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। लिहाजा ङ्क्षहदू बहुल राज्यों की 89 सीटों पर कांग्रेस भाजपा को सीधी टक्कर देने की स्थिति में है।

राज्यों में होने वाले संभावित गठबंधन की तस्वीर
कर्नाटक की 28 और महाराष्ट्र की 48 सीटों पर कांग्रेस का जे.डी.एस. और एन.सी.पी. के साथ गठबंधन तय है। कर्नाटक में कांग्रेस ने जे.डी.एस. के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराया था। ये गठबंधन लोकसभा में भी जारी रहेगा। हालांकि सीटों की संख्या को लेकर फिलहाल कोई घोषणा नहीं हुई लेकिन दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ महाराष्ट्र में एन.सी.पी. सुप्रीमो शरद पवार का राहुल गांधी के साथ सद्भाव बढ़ा है और दोनों मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। इस गठबंधन ने भी सीटों की संख्या के बंटवारे को लेकर फिलहाल घोषणा करनी है व माना जा रहा है कि दोनों दल 24-24 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और यदि महाराष्ट्र की कोई छोटी पार्टी गठबंधन में शामिल होती है तो एन.सी.पी. व कांग्रेस उसके लिए 2 से 4 सीटें छोड़ सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा पर नजरें
इस राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। कांग्रेस पिछले चुनाव में अमेठी और रायबरेली 2 सीटें ही जीत पाई थी। राज्य में बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी के होने जा रहे सम्भावित गठबंधन के चलते कांग्रेस को बहुत ज्यादा सीटें नहीं मिल पाएंगी। क्षेत्रीय पाॢटयों का गठबंधन कांग्रेस को 5 सीटें देने की पेशकश कर रहा है। इस राज्य में भी कांग्रेस को सीटों की संख्या में समझौता करना पड़ सकता है।

बिहार में करना होगा समझौता
इस राज्य में लोकसभा की 40 सीटें हैं। कांग्रेस पिछली बार महज 2 सीटों पर चुनाव जीत पाई थी। हालांकि पिछली बार नीतीश कुमार व भाजपा अलग-अलग लड़े थे लेकिन इस बार दोनों पाॢटयों के मिलकर चुनाव लडऩे की सम्भावना है लेकिन एन.डी.ए. गठबंधन की एक पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भाजपा का साथ छोड़ गई है। कांग्रेस यहां राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है लेकिन राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के कांग्रेस के गठबंधन का हिस्सा बनने की स्थिति में कांग्रेस के कोटे में बिहार से कम सीटें आएंगी। 

केरल के लिए बनानी होगी अलग रणनीति
दक्षिण के इस राज्य ने पिछले चुनाव में कांग्रेस की इज्जत बचाई थी और राज्य की 20 सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन इस चुनाव से पहले केरला में सबरीमाला मंदिर का मुद्दा गर्माया हुआ है। इस मुद्दे के कारण भाजपा को केरला में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करवाने का मौका मिल सकता है। लिहाजा कांग्रेस को इस राज्य में वोटों के बंटवारे से नुक्सान भी हो सकता है। इस राज्य के लिए कांग्रेस को अलग से रणनीति बनानी होगी। 

पश्चिम बंगाल में तालमेल बनाना बड़ी चुनौती
इस राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं। कांग्रेस पिछले चुनाव में महज 4 सीटें जीत सकी थी। इस प्रदेश में लैफ्ट, तृणमूल कांग्रेस, भाजपा भी मैदान में होंगे। भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को लैफ्ट और तृणमूल दोनों के साथ समन्वय बनाकर गठबंधन करना होगा। हो सकता है कि इस राज्य में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस सीटों की संख्या में भी समझौता करे।

असम में मजबूत गठबंधन की जरूरत
इस राज्य में लोकसभा की 14 सीटें हैं और कांग्रेस ने पिछली बार 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव जीता था। भाजपा का फोकस पूर्वोत्तर पर होने के कारण इस राज्य से भाजपा को बड़ी उम्मीदें हैं। असम में भाजपा सत्ता में है लिहाजा सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस को यहां भी मजबूत गठबंधन की जरूरत पड़ेगी। 

आंध्र प्रदेश में सहयोगी की दरकार
इस राज्य में कांग्रेस का मजबूत आधार रहा है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव दौरान यहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। राज्य के विभाजन का ठीकरा कांग्रेस पर फूटा था और पार्टी यहां एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस चुनाव में कांग्रेस को यहां मजबूत सहयोगी की दरकार होगी। 

झारखंड में जे.एम.एम. के साथ हो सकता है तालमेल
इस राज्य में लोकसभा की 14 सीटें हैं। पिछली बार कांग्रेस यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को स्थानीय पार्टी जे.एम.एम. का सहयोग लेना पड़ेगा और सीटों की कम संख्या पर भी समझौता करना पड़ सकता है। 

पश्चिम बंगाल में तालमेल बनाना बड़ी चुनौती
इस राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं। कांग्रेस पिछले चुनाव में महज 4 सीटें जीत सकी थी। इस प्रदेश में लैफ्ट, तृणमूल कांग्रेस, भाजपा भी मैदान में होंगे। भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को लैफ्ट और तृणमूल दोनों के साथ समन्वय बनाकर गठबंधन करना होगा। हो सकता है कि इस राज्य में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस सीटों की संख्या में भी समझौता करे।

तमिलनाडु में कांग्रेस व डी.एम.के. में हो सकता है तालमेल
तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीटें हैं। पिछले चुनाव के दौरान डी.एम.के. के नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे होने के कारण सूपड़ा साफ हो गया था और ए.डी.एम.के. के 37, भाजपा 1 व पी.एम.के. 1 सीट पर चुनाव जीते थे। अब जयललिता के निधन के बाद ए.आई.ए.डी.एम.के. कमजोर हुई है और डी.एम.के. प्रमुख स्टालिन कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन बना रहे हैं। कांग्रेस को यहां 5 सीटों की पेशकश की गई है। लेकिन कांग्रेस सम्मानजनक सीटों पर समझौते की कोशिश कर रही है लेकिन दोनों का गठबंधन तय माना जा रहा है।

तेलंगाना में महागठबंधन
इस राज्य में लोकसभा की 17 सीटें हैं पिछली बार संयुक्त आंध्र प्रदेश में 42 सीटों पर चुनाव हुआ था और उनमें से कांग्रेस तेलंगाना के हिस्से में आई 2 सीटों पर ही चुनाव जीत सकी थी। हालांकि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टी.डी.पी. के साथ गठबंधन किया है लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि गठबंधन का प्रयोग तेलंगाना में कितना सफल होता है। 

छत्तीसगढ़ में जोगी को साधना होगा
इस राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा पिछली बार 10 सीटें जीती थी और कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 1 सीट आई थी। इस विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी, कांग्रेस व बसपा में चुनावी समझौता हुआ है। ऐसे में वोटों के बिखराव का फायदा भाजपा को मिल सकता है। वोटों का बिखराव रोकने के लिए कांग्रेस को यहां जोगी, कांग्रेस और बसपा के साथ तालमेल करना पड़ेगा और सीटों की संख्या पर समझौता करना पड़ सकता है।
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!