पुलवामा: NIA रिपोर्ट से खुलासा, हमले से पहले सेना की गाड़ियों पर हुआ था पथराव

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Feb, 2019 10:01 AM

before the attack there was stone pelting on army buses

राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति क्या होती है, अगर आपको इसकी बानगी देखनी है तो सी.आर. पी.एफ. के उन जवानों का हौसला देखिए जिन्होंने अपनी आंखों के सामने साथियों को खो दिया। बावजूद इसके वे अपनी ड्यूटी पर डटे हैं।

नई दिल्ली: राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति क्या होती है, अगर आपको इसकी बानगी देखनी है तो सी.आर. पी.एफ. के उन जवानों का हौसला देखिए जिन्होंने अपनी आंखों के सामने साथियों को खो दिया। बावजूद इसके वे अपनी ड्यूटी पर डटे हैं। शनिवार को पुलवामा हमले के दौरान काफिले में चल रहे सी.आर.पी.एफ. जवानों ने एक और बड़ा खुलासा किया। एक जवान ने बताया कि धमाके से पहले काफिले पर पथराव किया गया था। काफिले में शामिल एक जवान ने बताया कि हम हादसे का शिकार हुई गाड़ी के 35-40 गाडिय़ां पीछे थे। हमले से पहले अचानक कुछ लोग शटर बंद कर रहे थे और कुछ लोग पथराव कर रहे थे। पथराव के 10 मिनट बाद अचानक धमाका हुआ। धमाका बहुत बड़ा था। धमाके के समय डर नहीं था लेकिन गुस्सा बहुत आया। अपने साथियों के बलिदान पर साथी जवान भावुक जरूर हैं लेकिन वे अपने फर्ज को निभाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। एक जवान ने कहा कि अभी भी वह मंजर दिलो-दिमाग से उतर नहीं रहा है। हम लोग सुबह साथ ही निकले थे। खाना-पीना साथ में किया था। उनकी आंखों की झलक अभी भी दिखाई दे रही है। सी.आर.पी.एफ. जवान ने कहा कि जम्मू से चले हम लोग 2 बजे यहां पहुंचे। अचानक धमाका हो गया। धमाके के बाद हमने जाकर देखा तो हमारे जवान शहीद हो गए थे। किसी तरह हमने जवानों को उठाया। उन्हें एंबुलैंस में रखकर भेजा गया।

बिना बुलेट प्रूफ बस को बनाया निशाना
सूत्रों के मुताबिक शुरूआती जांच से पता चला है कि आतंकी सर्विस रोड से आए और हमले के लिए उस इलाके को चुना जहां ढलान के कारण गाड़ियों की रफ्तार कम हो जाती है। और तो और सी.आर.पी.एफ. के काफिले की उस बस को निशाना बनाया गया जो बुलेट प्रूफ नहीं थी। तो क्या आतंकियों के पास पूरे काफिले की सूचना पहले से थी? हालांकि पुलवामा हमले की जांच जारी है। एन.आई.ए. की टीम 2 बार हमले वाली जगह पर पहुंची।


हमले का मास्टरमाइंड छिपा है दक्षिण कश्मीर में
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले को 22 वर्ष के जैश-ए-मोहम्मद आतंकी आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया था। लेकिन डार को इस हमले के लिए जो ट्रेनिंग मिली उसके पीछे पाकिस्तान में बैठे जैश के एक आतंकी का दिमाग था। डार ने 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में सी.आर.पी.एफ . के 44 जवानों की जान ले ली। हमले का मास्टरमाइंड डार नहीं बल्कि पाकिस्तान का जैश आतंकी गाजी अब्दुल राशिद बताया जा रहा है। गाजी ने ही डार को हमले के लिए ट्रेनिंग दी और उसे आई.ई.डी. में एक्सपर्ट बनाया। सुरक्षा एजैंसियों की मानें तो गाजी एक आई.ई.डी. एक्सपर्ट है और उसने ही इस पूरे हमले को अंजाम तक पहुंचाया था।


18 साल बाद विदेशी आतंकियों से अधिक स्थानीय आतंकी हुए ढेर
एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस बीच आतंकियों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है जो बताती है कि घाटी में 18 साल बाद विदेशी आतंकियों के मुकाबले स्थानीय आतंकी सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए हैं। इस रिपोर्ट अनुसार साल 2018 में घाटी में 246 आतंकियों को सुरक्षा बलों ने ढेर किया है। इसमें मारे गए स्थानीय आतंकियों के मुकाबले मरने वाले विदेशी आतंकियों की संख्या कम है।

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