बिहार चुनाव; खलेगी शरद, पासवान व लालू की कमी

Edited By Anil dev,Updated: 10 Oct, 2020 12:55 PM

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बिहार विधानसभा चुनाव का अखाड़ा तैयार है। किस अखाड़े में किस-किस पहलवान के बीच मुकाबला होना है, वह भी लगभग सामने आ चुका है। पहले चरण के चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची लगभग हर दल से जारी हो चुकी है। इस चुनाव प्रचार में तीन अहम चेहरों की कमी हर किसी...

नई दिल्ली(नवोदया टाइम्स): बिहार विधानसभा चुनाव का अखाड़ा तैयार है। किस अखाड़े में किस-किस पहलवान के बीच मुकाबला होना है, वह भी लगभग सामने आ चुका है। पहले चरण के चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची लगभग हर दल से जारी हो चुकी है। इस चुनाव प्रचार में तीन अहम चेहरों की कमी हर किसी को खलेगी। इनमें से एक हैं लालू प्रसाद यादव जो भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं जबकि दूसरे शरद यादव बीमार हैं और तीसरे राम विलास पासवान का दो दिन पहले ही निधन हो गया।  

चालीस साल में पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार में लालू यादव नहीं दिखेंगे। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के जन्मदाता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव चारा घोटाले में सजा मिलने से झारखंड की जेल में हैं। उन्हें दो मामलों मे जमानत मिल चुकी है, लेकिन एक केस और है, जिसमें 9 नवम्बर को फैसला आना है। इसके चलते उन्हें अभी जेल ही रहना होगा। इस फैसले के आने तक बिहार विधानसभा के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी। लालू की गैरमौजूदगी में चुनाव का सारा दारोमदार उनके पुत्र तेजस्वी और तेज प्रताप पर है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी इस बार ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रही हैं। बेटे तेजस्वी ही पार्टी और संगठन में अहम फैसले ले रहे हैं।

वहीं शरद यादव जो कभी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का चेहरा हुआ करते थे, इस बार बिहार चुनाव में नजर नहीं आएंगे। शरद यादव जदयू प्रमुख नीतीश कुमार से नाराज होकर पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्हें जदयू-भाजपा की दोस्ती पसंद नहीं आई, जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी और एकला चल पड़े। बाद में जदयू ने उनकी राज्यसभा सदस्यता भी छिनवा दी। वैसे भी इन दिनों उनकी तबीयत खराब बताई जा रही है। इसके चलते बिहार चुनाव में नजर नहीं आएंगे।  तीसरा और सबसे अहम चेहरा राम विलास पासवान का था जिनका लंबी बीमारी के बाद दो दिन पहले ही निधन हो गया। लोक जनशक्ति पार्टी के जन्मदाता रामविलास पासवान अपने पुत्र सांसद चिराग पासवान को पार्टी की बागडोर व राजनैतिक विरासत जीते जी ही सौंप गए। चिराग ने बिहार में एनडीए से अलग होकर अपनी पार्टी को चुनाव लड़ा रहे हैं। यह तीनों ही देश में समाजवादी आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे हैं। वे जेपी आंदोलन से निकलकर राजनीति में एक साथ आए लेकिन बाद में उनकी राहें जुदा हो गईं। इस बार बिहार का चुनाव इन तीनों की अनुपस्थिति में हो रहा है। 

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