Edited By ,Updated: 14 Jan, 2021 04:58 AM
पोल्ट्री फार्म मालिकों पर तो इस वक्त जैसे चारों तरफ से आफत टूट पड़ी है। पहले कोरोना और अब बर्ड फ्लू। बर्ड फ्लू के चलते देश के 8 राज्यों में चिकन बैन कर दिया गया है। लेकिन चिकन बैन होते ही अब चिकन के रूप में खाए जाने वाले ब्रायलर
नई दिल्लीः पोल्ट्री फार्म मालिकों पर तो इस वक्त जैसे चारों तरफ से आफत टूट पड़ी है। पहले कोरोना और अब बर्ड फ्लू। बर्ड फ्लू के चलते देश के 8 राज्यों में चिकन बैन कर दिया गया है। लेकिन चिकन बैन होते ही अब चिकन के रूप में खाए जाने वाले ब्रायलर मुर्गे-मुर्गियां हार्ट अटैक से मरने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह मुर्गे-मुर्गी का वजन है। 2.5 किलो वजन के बाद मुर्गे को कई तरह की परेशानी होने लगती हैं। और बैन लगा होने के चलते अभी मुर्गा बाज़ार में नहीं जा रहा है। पोल्ट्री में दाना खा-खाकर उसका वजन बढ़ रहा है।
पोल्ट्री एक्सपर्ट अनिल शाक्य ने बताया, 'जब ब्रायलर ब्रीड का मुर्गा या मुर्गी 15 दिन का होता है तो उसका वजन 500 से 600 ग्राम होता है। 30 दिन का होने पर 1.25 किलो का हो जाता है। 30 दिन के बाद इस ब्रीड के मुर्गे-मुर्गी की खुराक बढ़ जाती है। वो ज़्यादा दाना खाने लगता है। इसीलिए अगले 5 दिन यानि 35 दिन में 2 किलो के वजन तक पहुंच जाता है और 40 दिन का होते-होते वो 2.5 किलो तक का हो जाता है।
2.5 किलो वजन तक के मुर्गे-मुर्गी की डिमांड बाज़ार में रहती है। लेकिन इसके बाद न के बराबर बिकता है। दूसरे ओवर वेट के चलते मुर्गा ठीक से चल नहीं पाता है। ठीक से न चलने की वजह से दाना पूरा नहीं खा पाता, पानी नहीं पी पाता है। एक जगह पड़े-पड़े मरने लगता है। हार्ट अटैक आ जाता है, जो अब हो रहा है इस ब्रीड के साथ।'