Edited By Anil dev,Updated: 13 Dec, 2018 04:37 PM
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह अक्सर कहते हैं कि अगले लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2014 में मिली 282 सीटों के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतेगी लेकिन अब यह काफी मुश्किल काम मालूम हो रहा है क्योंकि उसे उन्हीं राज्यों...
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह अक्सर कहते हैं कि अगले लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2014 में मिली 282 सीटों के मुकाबले ज्यादा सीटें जीतेगी लेकिन अब यह काफी मुश्किल काम मालूम हो रहा है क्योंकि उसे उन्हीं राज्यों में एकजुट एवं उत्साह से भरे विपक्ष का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने भगवा पार्टी की केंद्र में सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
देश में चल रही थी मोदी की लहर
हालिया विधानसभा चुनावों के परिणामों से मिली निराशा से पहले तक 2014 में मिली शानदार जीत के बाद से ही देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ समेत आठ राज्यों में करीब 80 प्रतिशत लोकसभा सीटें जीती थी। अब हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में चुनावों में मिली हार ने भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्टी की राह में फिर से मजबूत हो रही कांग्रेस और 2019 चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में विपक्षी बलों के एकजुट होने जैसी चुनौतियां सिर उठाए खड़ी हो गई हैं। इन आठ राज्यों ने भाजपा को 2014 में मिली 282 लोकसभा सीटों में से 221 का जबर्दस्त स्कोर दिया था।
भाजपा के समीकरण बिगाडऩे को तैयार है सपा और बसपा
एक ओर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उत्तर प्रदेश में भाजपा के समीकरण बिगाडऩे को तैयार है जहां उसने विभाजित विपक्ष के खिलाफ 80 में से 71 सीटें जीती थीं वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में कांग्रेस एवं जद(एस) के बीच गठजोड़ ने पार्टी के लिए आगे की राहें मुश्किल कर दी हैं। वहीं गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा की 99 सीटों के मुकाबले 81 पर जीत दर्ज कर हलचल मचा दी थी। इसके अलावा महाराष्ट्र और बिहार में भी स्थितियां भाजपा के प्रतिकूल जाती दिख रही हैं। ऐसे में 2014 के प्रदर्शन को दोहरा पाना दूर की कौड़ी लगती है।