Edited By Anil dev,Updated: 13 Apr, 2019 11:07 AM
भारतीय जनता पार्टी 2014 के चुनाव में काले धन को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल दौरान 500 और 1000 के नोट बंद कर पूरे देश में सनसनी फैला दी। इसका देश की आर्थिकता पर असर पड़ा और जी.डी.पी. में भारी गिरावट देखी गई।
इलैक्शन डैस्क (नरेश कुमार): भारतीय जनता पार्टी 2014 के चुनाव में काले धन को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल दौरान 500 और 1000 के नोट बंद कर पूरे देश में सनसनी फैला दी। इसका देश की आर्थिकता पर असर पड़ा और जी.डी.पी. में भारी गिरावट देखी गई।
कुछ लोग इसे राजनीति से जुड़ा फैसला बता रहे हैं जबकि सरकार इस फैसले को काला धन खत्म करने और टैक्सपेयरों की संख्या बढ़ाने के लिए लिया गया फैसला बताती रही लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। देश की आजादी के बाद से ही आर्थिक तौर पर सामाजिक विभाजन शुरू हो गया था और अमीर ज्यादा अमीर व गरीब ज्यादा गरीब होते गए। 1977 में अमीरों के पास पड़ा काला धन राजनीति का मुद्दा बनने लगा था।
देश में काले धन व भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने 1000, 5000 और 10000 के नोटों को बंद करने का आदेश दे दिया था। मोरारजी देसाई आपातकाल के बाद कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल के कारण सत्ता में आए थे और उन्होंने सत्ता में आते ही आपातकाल दौरान लिए गए कई फैसलों को पलट दिया था। उस समय सरकार के फैसलों से पूरे देश में हड़कम्प मच गया था। आजादी के बाद आर्थिक स्तर पर लिया गया नोटबंदी का यह फैसला देश का बड़ा फैसला था लेकिन इससे उन लोगों को भारी परेशानी हुई जिनके पास काला धन था।