आॅफ द रिकार्ड: शिवसेना के बिना भाजपा की राह

Edited By vasudha,Updated: 10 May, 2018 09:29 AM

bjp path without shiv sena

अपने नाराज पार्टनर शिवसेना द्वारा मोदी सरकार पर लगातार हो रहे हमलों से दुखी सत्तारूढ़ भाजपा ने उससे निपटने के लिए एक वैकल्पिक रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है...

नेशनल डेस्क: अपने नाराज पार्टनर शिवसेना द्वारा मोदी सरकार पर लगातार हो रहे हमलों से दुखी सत्तारूढ़ भाजपा ने उससे निपटने के लिए एक वैकल्पिक रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। नारायण राणे को न केवल पार्टी में शामिल किया गया बल्कि उनको राज्यसभा की सीट का पुरस्कार भी दिया गया। राणे को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कुछ अन्य आश्वासन भी दिए गए। अब यह चर्चा है कि पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर नजर टिकाए हुए है जो कि अपने चचेरे भाई और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का मुकाबला करने में सक्षम हैं।
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मनसे बेशक मोदी लहर के कारण 2014 के लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हार गई थी मगर अब समय बदल गया है और भाजपा को अपनी गद्दी बचाने और शिवसेना का मुकाबला करने के लिए एक विकल्प की जरूरत है। ऐसे सुझाव दिए गए हैं कि राज ठाकरे इस कमी को पूरा कर सकते हैं। अगर सूत्रों पर विश्वास किया जाए तो शिवसेना ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अकेले लडऩे का फैसला किया है। 
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बेशक वह जानती है कि वह अकेले लोकसभा की 18 सीटें नहीं जीत सकती मगर वह भाजपा को एक सबक सिखाना चाहती है ताकि भगवा पार्टी के साथ भावी समझौते की शर्तों को फिर से लिखा जा सके। शिवसेना इस बात से भी अवगत है कि उसके फैसले से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को मदद मिल सकती है मगर उसका विचार यह है कि लोकसभा चुनावों में हार से 2019 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी को मदद मिल सकती है। शिवसेना महसूस करती है कि उसके परम्परागत वोट उसके साथ ही रहेंगे इसलिए यह खतरा तो लेना ही होगा। 

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