Edited By shukdev,Updated: 05 Sep, 2018 11:11 AM
गैरों पे करम अपनों पे सितम ऐ जाने वफा ये जुल्म न कर। 1968 में आई ''आंखें'' फिल्म के गाने के ये बोल पेट्रोल और डीजल के बढ़ते बोझ से दबे भारतीयों के ऊपर सटीक बैठते हैं। गैरों पे करम थोड़ी देर बाद बताएंगे शुरुआत करते हैं अपनो पे सितम से। बीजेपी की मोदी...
नई दिल्ली (मनीष शर्मा): गैरों पे करम अपनों पे सितम ऐ जाने वफा ये जुल्म न कर। 1968 में आई 'आंखें' फिल्म के गाने के ये बोल पेट्रोल और डीजल के बढ़ते बोझ से दबे भारतीयों के ऊपर सटीक बैठते हैं। गैरों पे करम थोड़ी देर बाद बताएंगे शुरुआत करते हैं अपनो पे सितम से। बीजेपी की मोदी सरकार इसका ठीकरा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम और रुपए के गिरते भाव पर फोड़ रही है। क्या आपको मालूम है यह आधी सच्चाई है। बाकी आधी सच्चाई में ही सारा तेल का खेल है। जानते हैं कैसे ?
तेल का खेल
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम इस समय 84.20 अमरीकी डॉलर पर बैरल है। डीलर को पेट्रोल 39 रुपए 21 पैसे पड़ता है ।
- मुंबई के लोगों को वही पेट्रोल 86 रुपए 56 पैसे पड़ता है।
- जालंधर के लोगों को पेट्रोल 84 रुपए 57 पैसे पड़ रहा है।
- डीलर से आपके पास आते आते पेट्रोल की कीमत में दोगुना से ज्यादा इजाफा हो जाता है। मुंबई के लोग 47 रुपए 35 पैसे पर लीटर टैक्स दे रहे हैं और जालंधर के लोग 45 रुपए 36 पैसे पर लीटर पेट्रोल पर टैक्स दे रहे हैं।
एक लीटर पेट्रोल पर कितना टैक्स
- डीलर कमीशन -3 रुपए 63 पैसे
- केंद्र की एक्साइज ड्यूटी- 19 रुपए 48 पैसे
- मुंबई के लोगों पर राज्य सरकार का वैट -24 रुपए 24 पैसे
- जालंधर के लोगों पर राज्य सरकार का वैट -22 रुपए 25 पैसे
दोस्तों आपको याद होगा साल 2012 में मई और सितम्बर के महीने में बीजेपी ने पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर भारत बंद किया था।
23 मई 2012 में उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था कि पेट्रोल की कीमत में भारी वृद्धि कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार की विफलता का एक प्रमुख उदाहरण है। इससे गुजरात पर कई सौ करोड़ का बोझ पड़ जाएगा।
क्या आपको मालूम है उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कच्चे तेल की क्या कीमत थी और भारत में पेट्रोल की क्या कीमत थी ?
यूपीए सरकार में तेल का भाव :
- कच्चे तेल की कीमत -109 अमरीकी डॉलर पर बैरल
- पेट्रोल की कीमत - 73 रुपए 17 पैसे प्रति लीटर
- आज के समय के हिसाब से पेट्रोल होता- 120 रुपए प्रति लीटर
मोदी सरकार तेल के बढ़ते दाम का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमत बता रही है लेकिन जब कच्चे तेल के दाम 111 अमरीकी डॉलर पर बैरल से गिरकर 40 अमरीकी डॉलर हो गए थे तो क्या उसका फायदा जनता को पहुंचाया था। जवाब है नहीं।
बेवकूफ बनी जनता
- सस्ते कच्चे तेल का फायदा जनता को नहीं दिया।
- सारा मुनाफा सरकार ने ले लिया।
- पिछले चार सालों में सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 9 रुपए 48 पैसे से बढ़ा कर 19 रुपए 48 पैसे कर दिया।
- तेल की कीमत को कम करने के लिए मोदी सरकार एक्साइज ड्यूटी कम कर सकती थी।
- पेट्रोल ओर डीजल को मोदी सरकार जीएसटी के दायरे में ला सकती थी।
- अगर एक्साइज ड्यूटी कम हो जाती और जीएसटी में पेट्रोल आ जाता तो उसकी कीमत 45 रुपए हो जानी थी।
अब बात करते हैं गैरों पर करम की। एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि भारत 15 देशों को 34 रुपए लीटर पैट्रोल व 29 देशों को 37 रुपए लीटर डीजल बेच रहा है।
किन देशों को बेच रहा है सस्ते दामों पर तेल:
- अमरीका, इंगलैंड, ईराक, इजराइल, जॉर्डन, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, सिंगापुर, साऊथ अफ्रीका , मॉरीशस, मलेशिया, यू.ए.ई.।
- नरेंद्र मोदी और बीजेपी जब तक विपक्ष में थे तो क्या उन्हें पता नहीं था कि पेट्रोल और डीजल के दाम कच्चे तेल के दाम पर कितना निर्भर करते हैं? जब सरकार में आये तो उन्होंने कच्चे तेल के सस्ते होने का फायदा जनता को क्यों नहीं पहुंचाया? केंद्र और 21राज्यों में सरकार होने के बाद भी पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में क्यों नहीं लाये? क्यों बार- बार पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई? जनता जवाब चाहती है, मोदी जी।