Edited By vasudha,Updated: 28 Nov, 2019 12:41 PM
हरियाणा व महाराष्ट्र में मात खाने व अंडर परफार्मेस के बाद भारतीय जनता पार्टी के सामने झारखंड में अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। अगले महीने यहां होने जा रहे चुनाव में भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन से सीधी टक्कर होगी। महागठबंधन में कांग्रेस के...
नई दिल्ली(विशेष): हरियाणा व महाराष्ट्र में मात खाने व अंडर परफार्मेस के बाद भारतीय जनता पार्टी के सामने झारखंड में अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। अगले महीने यहां होने जा रहे चुनाव में भाजपा की झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन से सीधी टक्कर होगी। महागठबंधन में कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी भागीदार है। वहीं भाजपा अपने राजनीतिक साझीदार ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) से रिश्ता टूटने के बाद अकेले चुनाव मैदान में है। उसे सत्ता विरोधी जनभावना से भी जूझना पड़ रहा है।
झारखंड के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर कालांतर में लगातार राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा है। चुनाव परिणाम के बाद लोग सत्ता के लिए गठबंधन बनाते व तोड़ते रहे हैं। पहले 2005 में भाजपा तता 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकारें बीच में ही अल्पमत होने के चलते गिर गई थीं। वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा व आजसू ने चुनाव से पहले गठबंधन किया तथा उन्हें विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत भी मिला। लेकिन इस बार दोनों दलों का गठबंधन चुनाव से पहले खत्म हो गया है। पिछले चुनाव में कुल 14 सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस व झारखंड मुक्ति मोर्चा का संयुक्त मत जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी से अधिक था। इस बार दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। निश्चय ही इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
पिछला लोकसभा चुनाव झारखंड में भाजपा व आजसू ने मिलकर लड़ा था तथा कुल 14 में से 13 सीटें जीतने में सफल रहे। दोनों को कुल 55.3 फीसदी वोट मिले थे। वैसे यहां के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो आम चुनाव तथा राज्य विधानसभा चुनाव में लोगों के मतदान का पैटर्न बिल्कुल अलग दिखता है। भाजपा को राज्य विधानसभा चुनाव की तुलना में आम चुनाव में अधिक वोट मिलता रहा है। 2014 के चुनाव में पच्चीस सीटों पर लड़ी कांग्रेस को एक भी विधानसभा सीट पर सफलता नहीं मिल पाई थी जबकि उसे औसत 10.8 फीसदी मत मिले थे। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि इस बार भी मतदाता अपने पुराने ट्रेंड को दुहराते हैं तो झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा कांग्रेस गठबंधन को इन सीटों पर भारी सफलता मिल सकती है।
भाजपा: सर्वाधिक सीटें पर बहुमत से दूर
झारखंड में तीस नवम्बर से विधानसभा चुनाव शुरु हो रहे हैं। पांच चरणों में मतदान के उपरांत 23 दिसंबर को यहां मतगणना होगी। चुनाव से कुछ दिन पहले सी वोटर ने राज्य की जनता का मूड जानने के लिए एक सर्वेक्षण किया है। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में झारखंड में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है हालांकि वह पूर्ण बहुमत से दूर रह सकती है।
किसे मिलेगा कितना वोट?
झामुमो 18.8 प्रतिशत
बीजेपी 33.3 प्रतिशत
कांग्रेस 12.4 प्रतिशत
आजसू 4.6 प्रतिशत
जेवीएम 7.7 प्रतिशत
अन्य 23.2 प्रतिशत
मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद
रघुवर दास 28 प्रतिशत
हेमंत सोरेन 22.7 प्रतिशत
बाबूलाल मरांडी 21.9 प्रतिशत
अर्जुन मुंडा 8.2 प्रतिशत
सुदेश कुमार महतो 3.2 प्रतिशत