जानें क्या है धारा-144, किन परिस्थितियों में किया जाता है इसका इस्तेमाल

Edited By Anil dev,Updated: 20 Dec, 2019 06:16 PM

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देश में जब से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हुआ है तब से देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन उग्र रूप धारण करता जा रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात,...

नई दिल्ली: देश में जब से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हुआ है तब से देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन उग्र रूप धारण करता जा रहा है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और असम के कई हिस्सों में धारा-144 (Section 144) लागू कर दी गई है। कई राज्यों से इसे हटा दिया गया है तो कई राज्यों के संवेदनशील इलाकों में ये धारा लागू है।


धारा-144 का प्रयोग
दरअसल धारा-144 का उपयोग तभी किया जाता है जब स्थिति काबू से बाहर हो जाती है। इसका एकमात्र उद्देश्य शहर में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखना तथा शांति कायम रखना है। जाने अनजानें में कई बार लोग विरोध प्रदर्शन के दौरान धारा-144 का उल्लंघन कर देते हैं। आईए समझते हैं कि धारा 144 है क्या और क्या हैं इसके प्रावधान और क्या सजा होती है इसके उल्लंघन पर?

 

क्या है धारा-144 
सीआरपीसी के मुताबिक धारा-144 शांति व्यवस्था और सौहार्दपूर्ण माहौल बहाल करने के लिए लगाई जाती है। इस धारा को एक प्रक्रिया के तहत ही लागू किया जाता है। इसे लागू करने के लिए जिलाधिकारी (DM) एक अधिसूचना जारी करता है। धारा के लागू होने के बाद संबंधित स्थान पर चार या उससे अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकते। किसी भी तरह की रैली पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दी जाती है। इसके साथ ही किसी भी तरह के शस्त्र प्रयोग पर प्रतिबंधित लगा दिया जाता है। 

 

उल्लंघन के दौरान सजा
धारा-144  का  उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को पुलिस हिरासत में लेने का अधिकार दिया जाता है। ये गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के मुताबिक की जाती है। इस धारा का उल्लंघन या किसी भी तरह का दुरुपयोग करने पर आरोपी को एक साल की सजा का प्रावधान है। यह एक जमानती अपराध है, इसमें आरोपी को जमानत मिल जाती है। 

 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिए अहम कानून है। ये कानून सन 1973 में पारित हुआ था।  ये  कानून 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया। यह कानून (सीआरपीसी) दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है।  जब भी कोई अपराध होता है तब  दो प्रक्रियाओं के तहत जांच की जाती है। एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध  में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है। सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं को तथ्यवार जानकारी दी गई है। भारतीय दंड संहिता का संक्षिप्त नाम आइपीसी है।  

 

ये हैं प्रमुख धारायें
धारा 41B के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया तथा गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के कर्तव्य दिए गये हैं। धारा 41D के मुताबिक जब कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तथा पुलिस द्वारा उससे परिप्रश्न किये जाते है, तो परिप्रशनों के दौरान उसे अपने पंसद के अधिवक्ता से मिलने का समय दिया जाता है, लेकिन ऐसा पूरे परिप्रश्नों के दौरान नहीं होता। धारा 46 में दिया गया है कि आरोपी की गिरफ्तारी कैसे की जायेगी। धारा 51 के तहत हिरासत में लिए गए आरोपी व्यक्ति की तलाश ली जाती है। 

 

धारा 52 के मुताबिक गिरफ्तार व्यक्ति के पास यदि कोई आक्रामक हथियार पाये जाते हैं तो उन्हें कब्जे में लेने का प्रावधान किया गया है। धारा 55A इसके मुताबिक अभियुक्त की अभिरक्षा रखने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह अभियुक्त के स्वास्थ्य तथा सुरक्षा की  देख-रेख की जाए। धारा 58 इस धारा के मुताबिक पुलिस थाने के भारसाधक जिलाधिकारी को या उसके ऐसे निर्देश देने पर उपखण्ड मजिस्ट्रेट को, अपने अपने थाने की सीमाओं के भीतर वारण्ट के बिना गिरफ्तार किए सब व्यक्तियों कें मामले के रिपोर्ट करेंगे चाहे उन व्यक्तियों की जमानत ले ली गई हो या नहीं ली गई हो।

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