CAA के खिलाफ विपक्ष की "ऑल पार्टी मीटिंग" रही बेअसर, छह मुख्य विपक्षी पार्टियां रही नदारद

Edited By Ashish panwar,Updated: 13 Jan, 2020 06:48 PM

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सीएए के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्षी दलों ने सोमवार को पार्लियामेंट एनेक्सी में एक बैठक कीं।  बैठक का मुख्य उदेश्य सत्ताधारी बीजेपी को CAA, प्रस्तावित NPR और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर घेरना था। लेकिन, विपक्षी दलों की इस...

नेशनल डेस्कः सीएए के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्षी दलों ने सोमवार को पार्लियामेंट एनेक्सी में एक बैठक कीं।  बैठक का मुख्य उदेश्य सत्ताधारी बीजेपी को CAA, प्रस्तावित NPR और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर घेरना था। लेकिन, विपक्षी दलों की इस एकता को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब बैठक से ठीक पहले, छह मुख्य दलों ने इस मीटिंग से किनारा कर विपक्ष की मजबूती को कमजोर करने का काम किया। 

 

कांग्रेस की अगुवाई में हुई विपक्षी दलों की बैठक से शिवसेना, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कोई भी नुमाइंदा शामिल नहीं हुआ। इस बैठक में एनसीपी, आरजेडी समेत 20 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक से ठीक पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस मीटिंग से दूर रहने का फैसला किया। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार के खिलाफ राज्य में कांग्रेस और लेफ्ट के कैंपेन से नाराज हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने भी यह साफ कर दिया था कि वे इस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। 

 

हालांकि, कांग्रेस को यह उम्मीद थी कि बीएसपी और समाजवादी पार्टी के नेता जरुर इस बैठक में शामिल होंगे। मायावती ने विपक्षी दलों की बैठक में न जाने के फैसले से पहले कांग्रेस पर हमला करते हुए, ट्वीट करके कहा कि, राजस्थान में गहलोत सरकार को बाहर से समर्थन देने के बावजूद, उन्होंने हमारे विधायकों को लालच दिया। मायावती ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी दलों की बैठक में इस परिस्थिति में जाने का मतलब होगा, राजस्थान में पार्टी नेताओं के मनोबल को गिराना।

उधर, पार्टी की बैठक से डीएमके की गैर-मौजूदगी भी हैरान करने वाली थी। जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि एमके स्टालिन की पार्टी लगातार तमिलनाडु में एआईएडीएमके सरकार पर केन्द्र की एनडीए सरकार के कदमों से दूर रहने का दबाव बना रही थी। स्पष्ट है कि, विपक्ष भाजपा के खिलाफ तो एकजुट है, लेकिन, अपने निजी हितों के मामले में एक दूसरे से एकजुटता नहीं निभा सकता। 

 

 

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