चिदंबरम ने बजट में तीन जुमलों के हवाले से पूछे सरकार से 12 सवाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 06:45 PM

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पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के चौथे बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार देते हुए इसमें किए गए रोजगार के दावे, किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने और...

नेशनल डेस्क: पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के चौथे बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार देते हुए इसमें किए गए रोजगार के दावे, किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने और स्वास्थ्य बीमा योजना को दुनिया के तीन सबसे बड़े जुमले बताया।

मोदी सरकार ने पिछले चार सालों में की जुमलों की बरसात 
राज्यसभा में गुरुवार को बजट पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष के सदस्यों के भारी शोरशराबे के बीच चिदंबरम ने सरकार पर बीते चार सालों से सिर्फ जुमलों की बारिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि धरातल पर कोई ठोस काम नहीं होने के कारण अर्थव्यवस्था की हालत उस गंभीर मरीज की तरह हो गई है, जिसका डाक्टर (मुख्य आर्थिक सलाहकार) तो अच्छा है लेकिन मरीज की देखभाल कर रही सरकार, डाक्टर की सलाह पर अमल करने को कतई तैयार नहीं है।

राजकोषीय घाटा शीर्ष पर और विकास दर न्यूनतम स्तर पर
चिदंबरम ने बजट की घोषणाओं और अर्थव्यवस्था के बारे में किए गए दावों को हकीकत से दूर बताते हुए कहा कि सरकार के आधारहीन दावों के कारण ही राजकोषीय घाटा अब के शीर्ष स्तर पर और विकास दर न्यूनतम स्तर पर आ गई है।  उन्होंने अर्थव्यवस्था की नाजुक हालत का हवाला देते हुए वित्त मंत्री से दर्जन भर सवाल पूछे। उन्होंने आर्थिक समीक्षा में वित्तीय वर्ष 2018-19 में वित्तीय घाटे को अब तक की सबसे खराब स्थिति में बताते हुए इसके 3.4 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

बजट में वित्तीय घाटे और मंहगाई को काबू में करने का कोई जिक्र नहीं
चिदंबरम ने कहा कि बजट में वित्तीय घाटे और मंहगाई को काबू में करने का कोई जिक्र नहीं है। इससे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के जवाब में प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष के हंगामे का विरोध कर रहे सत्तापक्ष के सदस्यों ने गुरुवार को भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नारेबाजी शुरू कर दी। भाजपा सदस्य इसे प्रधानमंत्री का अपमान बताते हुए कांग्रेस से इसके लिए देश और प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग कर रहे थे।

सरकार की आर्थिक नीतियां देश की जनता के साथ धोखा
सत्तापक्ष की नारेबाजी के बीच चिदंबरम ने लगभग 40 मिनट के अपने भाषण में सरकार की आर्थिक नीतियों को देश की जनता के साथ धोखा बताते हुए भविष्य में इसके गंभीर प्रभावों की ओर आगाह किया। उन्होंने सरकार पर आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले चार सालों में आर्थिक वित्तीय घाटा बढऩे की दर 3.2 से 3.5 प्रतिशत होने के बाद सरकार की देनदारियां बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गई। उन्होंने सरकार से पूछा कि यह बात बजट से नदारद क्यों है।

क्या सरकार पकौड़ा बेचने को भी रोजगार की परिभाषा में शामिल करने का सुझाव देगी?
चिदंबरम ने प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार सृजन के मोदी सरकार के वादे का जिक्र करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा नियत रोजगार की परिभाषा के तहत सेवाशर्तों और रोजगार सुरक्षा से युक्त समुचित नौकरी को शामिल किया गया है। उन्होंने सरकार से रोजगार की उसकी अपनी परिभाषा बताने और पिछले चार सालों में सृजित रोजगारों की संख्या का खुलासा करने की मांग करते हुए पूछा कि क्या सरकार आईएलओ को पकौड़ा बेचने को भी रोजगार की परिभाषा में शामिल करने का सुझाव देगी।

पूर्व वित्त मंत्री ने कर राजस्व पर सरकार की खामियों को उजागर करते हुए कहा कि सीमा शुल्क में इजाफे के बावजूद पिछले साल इसकी अनुमानित वसूली 2.45 लाख करोड़ रुपए के बजाय वास्तविक वसूली 1.35 लाख करोड़ रुपए ही रही। उन्होंने कहा कि इसका सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि सीमा शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद अगले साल इसकी अनुमानित वसूली 1.12 लाख करोड़ रुपए ही रखी गई।

जीएसटी को बताया खतरनाक
इसी तरह उन्होने प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के असंतुलन का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था के लिए कर राजस्व में निगमित कर और आय कर जैसे प्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी को कम करने तथा जनता पर बोझ बढ़ाने वाले जीएसटी जैसे परोक्ष करों की हिस्सेदारी बढ़ाने को खतरनाक बताते हुए कहा कि इससे भविष्य में उद्योग जगत को लाभ और जनता की मुसीबत बढ़ेगी।

पिछले दो सालों में समर्थन मूल्य में सिर्फ पांच रुपए की बढ़ोत्तरी
चिदंबरम ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से इन सवालों के जवाब देने की अपेक्षा व्यक्त करते हुए सरकार के तीन जुमलों का जिक्र किया। उन्होंने किसानों को उपज का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराने के सरकार के दावे को पहला जुमला बताते हुए कहा कि सरकार ने पिछले दो सालों में समर्थन मूल्य में सिर्फ पांच रुपए की बढ़ोतरी की। इसे किसानों के साथ धोखा बताते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के दस साल के कार्यकाल में समर्थन मूल्य में 100 प्रतिशत वृद्धि हुयी थी।

सकल घरेलू उत्पाद लगातार घट रहा
रोजगार सृजन के आंकड़ों को बजट में छुपाने का आरोप लगाते हुए चिदंबरम ने पिछले चार साल में सरकारी आंकड़ों में लगातार राजगार के अवसर बढऩे का दावा किया गया है जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) लगातार घट रहा है। इसे दूसरा जुमला बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश बन गया है जिसमें जीडीपी घटे और रोजगार बढ़ें। जबकि हास्यास्पद बात यह है कि अर्धसैन्य बलों से लेकर सरकारी महकमों तक सभी विभागों में लाखों पद खाली पड़े हैं।

चिदंबरम ने बजट में घोषित चिकित्सा बीमा योजना को अब तक का सबसे बड़ा जुमला बताते हुए कहा कि 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपए के बीमा में शामिल करने पर 1.50 लाख करोड़ रुपए की प्रीमियम राशि का इंतजाम कहां से करेगी, इसका बजट में कोई उपाय नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट भाषण में इसके लिए अतिरिक्त स्रोतों से प्रीमियम राशि का इंतजाम करने की बात कही लेकिन यह नहीं बताया कि क्या ये अतिरिक्त स्रोत क्या हैं। 

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