चीन ने भारत की उत्तरी सीमा पर 60000 सैनिक किए तैनात, द. चीन सागर में अमेरिकी नौसेना का किया विरोध

Edited By Tanuja,Updated: 10 Oct, 2020 12:26 PM

china has deployed 60 000 soldiers on india s northern border  pompeo

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ‘‘खराब बर्ताव'''' और क्वाड समूह के देशों के सामने खतरे पैदा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा ...

लॉस एंजलिसः अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ‘‘खराब बर्ताव'' और क्वाड समूह के देशों के सामने खतरे पैदा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उसने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं। अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया पर आधारित ‘क्वाड' देशों के विदेश मंत्री मंगलवार को तोक्यो में मिले थे। कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से व्यक्तिगत उपस्थिति वाली यह उनकी पहली वार्ता थी। यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रामक सैन्य बर्ताव की पृष्ठभूमि में हुई।

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 बैठक से लौटने के बाद पोम्पियो ने शुक्रवार को गाइ बेनसन शो पर कहा, ‘‘भारतीय देख रहे हैं कि उनकी उत्तरी सीमा पर 60,000 चीनी सैनिक तैनात हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्षों के साथ था, चार बड़े लोकतंत्रों, चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं, चार राष्ट्रों के इस प्रारूप को क्वाड कहते हैं। इन सभी चारों देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से पेश खतरों से जुड़े वास्तविक जोखिम हैं।'' पोम्पियो ने मंगलवार को तोक्यो में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। पोम्पियो ने कहा, ‘‘वे जानते हैं कि उनके (क्वाड देशों के) लोग इस बात को समझते हैं कि हम इसे लंबे समय से नजरअंदाज करते आए हैं। पश्चिम ने दशकों तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अपने ऊपर हावी होने दिया।

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उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती प्रशासन ने घुटने टेक दिए और चीन को हमारी बैद्धिक संपदा को चुराने तथा उसके साथ जुड़ी लाखों नौकरियों को कब्जा करने का मौका दिया। वे अपने देश में भी ऐसा होता देख रहे हैं।'' एक अन्य साक्षात्कार में पोम्पियो ने कहा कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठकों में समझ और नीतियां विकसित होना शुरू हुई हैं जिनके जरिए ये देश उनके समक्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा पेश खतरों का एकजुट होकर विरोध कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस लड़ाई में निश्चित ही उन्हें एक सहयोगी और साझेदार के रूप में अमेरिका की जरूरत है।''

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 उधर,  चीन ने कहा कि अमेरिका का मिसाइल विध्वंसक जॉन एस मैकेन दक्षिण चीन सागर में जब उसके कब्जे वाले द्वीपों के निकट से गुजरा तो उसके पीछे उसने अपने जहाज और विमान भेज दिए । पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी युद्धपोत ने शुक्रवार को पारासेल द्वीपों के निकट उसके जलक्षेत्र में अनाधिकार प्रवेश किया। अमेरिका का यह कदम नौसेना द्वारा चलाए जा रहे नौवहन की स्वतंत्रता मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलक्षेत्र में चीन के व्यापक दावों की अवहेलना करना है। पीएलए की सदर्न थियेटर कमान के प्रवक्ता कर्नल झांग नानदोंग ने कहा कि बीजिंग मांग करता है कि अमेरिका ऐसी गतिविधियों को बंद करे। उन्होंने इसे ‘‘सैन्य उकसावा'' बताया जिससे ‘‘चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों का घोर उल्लंघन होता है और जो दक्षिण चीन सागर में शांति एवं स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।''  
 

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