नई शिक्षा नीति-2020 को वर्ष 2025 तक पूर्ण रूप से लागू करेगा हरियाणा

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 24 Sep, 2022 07:44 PM

cm said haryana government s special focus on school education

स्कूली शिक्षा विद्यार्थी-जीवन का आधार होती है। प्रदेश के युवाओं की शैक्षिक-नींव मजूबत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्कूली-शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा किए गए...

चंडीगढ़,(पांडेय): स्कूली शिक्षा विद्यार्थी-जीवन का आधार होती है। प्रदेश के युवाओं की शैक्षिक-नींव मजूबत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्कूली-शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। सरकार ने रैशनलाइजेशन करके सरकारी स्कूलों के प्रत्येक विद्यार्थी को अध्यापक उपलब्ध करवाने का प्रयास किया है। स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल इतिहास की पुस्तकों को रिवाइज करके अपडेट किया गया है। इन पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में भी अनुवाद किया गया है ताकि अंग्रेजी माध्यम के विद्याॢथयों को भी आसानी से इतिहास से जुड़ी पुस्तकें उपलब्ध हो सकें।

 


केंद्र सरकार ने पूरे देश में नई शिक्षा नीति को लागू करने पर बल दिया है। केंद्र सरकार द्वारा सतत विकास एजेंडा 2030 के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा विकास एजैंडा को प्राथमिकता दी गई, जिसमें समावेशी और समान गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध करवाने तथा शिक्षा के अवसरों को बढ़ाने पर बल दिया गया। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति-2020 को लागू किया। नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने भी नई शिक्षा नीति-2020 को वर्ष 2025 तक प्रदेश में पूर्ण रूप से लागू करने का निर्णय लिया है। 

 


सरकार ने जहां शिक्षा के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं व आधारभूत ढांचे को मजबूत किया है, वहीं शिक्षक-छात्र अनुपात को भी प्रभावी बनाने का काम किया है। रैशनलाइजेशन से न केवल शिक्षक-छात्र अनुपात ठीक हुआ है, बल्कि पूरी शिक्षा प्रक्रिया में पारदॢशता भी आई है। प्रदेश में सीनियर सैकेंडरी स्कूलों की संख्या 2304, हाई स्कूल 1027, मिडिल स्कूल 2122 तथा प्राइमरी स्कूलों की संख्या 4184 है। हरियाणा बच्चों की शिक्षा पर पूरे देश में सबसे अधिक राशि खर्च करने वाला राज्य है और यहां शिक्षक-छात्र अनुपात 1:30 है।

 


चिराग योजना गरीब बच्चों के लिए बनी वरदान
प्रदेश सरकार ने गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में पढऩे का सपना पूरा किया है। चिराग योजना लागू कर गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। इस योजना के तहत सरकार दूसरी से 5वीं कक्षा में पढऩे वाले बच्चों के लिए निजी स्कूलों को 700 रुपए दे रही है, जबकि 6वीं से 8वीं कक्षा में पढऩे वाले छात्रों के लिए 900 रुपए और 9वीं से 12वीं के लिए 1100 रुपए का भुगतान कर रही है। यह राशि प्रति छात्र प्रतिमाह दी जा रही है। अब तक लगभग 2500 से अधिक बच्चों का दखिला हो चुका है।
 

 

स्कूलों के पाठ्यक्रमों में किया आमूलचूल परिवर्तन 
प्रदेश सरकार ने समय की मांग के अनुसार स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी आमूलचूल परिवर्तन किया है। बच्चों में राष्ट्र प्रेम, स्वाधीनता व मानवीय गुणों की भावना पैदा करने के लिए पुस्तकों में नई विषय सामग्री शामिल की है। इतिहास की पुस्तकों का पुनरलेखन किया गया है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने इतिहास की कई नवीन पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में भी अनुवाद किया है। 9वीं व 10वीं कक्षाओं की इतिहास विषय की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। बच्चों की पठन-पाठन सामग्री में विषयों की समग्रता पर विशेष ध्यान दिया गया है। नवीन पुस्तकों में इतिहास का समग्र व व्यापक रूप से उल्लेख किया गया है। पहले की पुस्तकों में जहां सिंधु घाटी सभ्यता से ही भारतीय इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, वहीं अब सरस्वती नदी का उल्लेख शामिल किया गया है। वहीं राजा नाहर सिंह, जिन्हें 1857 ई. की क्रांति में भाग लेने पर दिल्ली के चांदनी चौक में सरेआम फांसी पर लटका दिया गया था, का भी वर्णन है। अंग्रेजों ने लाला हुकमचंद जैन को इसी दौरान हांसी में फांसी पर लटका दिया था। रेवाड़ी के राव तुलाराम का भी स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
 

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