कांग्रेस के कुनबे में बिखराव की आहट

Edited By Anil dev,Updated: 04 Oct, 2019 11:22 AM

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में नेतृत्व बदलने के बाद हालात ठीक होते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐन चुनाव से पहले महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी की कलह खुल कर सामने आ गई। टिकट वितरण में अनदेखी से मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने...

नई दिल्ली: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में नेतृत्व बदलने के बाद हालात ठीक होते नजर नहीं आ रहे हैं। ऐन चुनाव से पहले महाराष्ट्र और हरियाणा में पार्टी की कलह खुल कर सामने आ गई। टिकट वितरण में अनदेखी से मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने कांग्रेस का प्रचार न करने का ऐलान कर दिया है तो हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी की तमाम कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। उधर, यूपी की रायबरेली सदर सीट से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन कर भविष्य का संकेत दे दिया है।

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लोकसभा चुनाव में पार्टी की हुई करारी हार का जिम्मा भले ही राहुल गांधी ने अपने सिर लेते हुए अध्यक्ष पद छोड़ दिया था, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि चुनाव के दौरान पार्टी के भीतर उन्हें अपने नेताओं का ठीक से सहयोग नहीं मिला। अब सोनिया गांधी के हाथ में पार्टी की कमान है तब भी हालात में बदलाव नजर नहीं आ रहा है। पार्टी के अहम फैसले ले रहे नेताओं पर जमीनी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी का आरोप लग रहा है। दो दिन पहले हरियाणा के निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर और उनके समर्थकों ने सोनिया के आवास पर प्रदर्शन कर संदेश दे दिया था कि उम्मीदवार चयन में जो कुछ हो रहा है, वह ठीक नहीं है। विरोध न बढ़े इसलिए आधी रात को पार्टी उम्मीदवारों की सूची जारी की गई। लेकिन सुबह सूची सार्वजनिक होते ही तंवर ने पार्टी की सभी कमेटियों से हटने का ऐलान कर दिया और हाईकमान को पत्र भेज दिया। 

वहीं महाराष्ट्र के उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस की मुंबई इकाई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम भी बिफर पड़े। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि एक टिकट की सिफारिश की थी, जिसे माना नहीं गया। ऐसी स्थिति में चुनाव प्रचार में भाग नहीं लूंगा। यह मेरा अंतिम फैसला है। सूत्र बता रहे हैं कि निरुपम ने मुंबई की वर्सोवा विधानसभा सीट से अपने किसी करीबी के लिए टिकट चाहा था, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया। निरुपम का कहना है कि वे मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष और सांसद रहे और सिर्फ एक सीट का आग्रह किया था। फिर भी नहीं सुना गया। ऐसा क्यों है?


इधर, कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश से भी अच्छी खबर नहीं है। यहां तो सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह का रुख संकेत दे रहा है कि वे शायद ज्यादा वक्त तक कांग्रेस के साथ न रहें। अदिति ने 2 अक्टूबर को पार्टी व्हिप का न केवल उल्लंघन कर विधानसभा के विशेष सत्र में शामिल हुईं, बल्कि कांग्रेस की पदयात्रा से भी दूर रहीं। उनका तर्क है कि क्षेत्र की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने सत्र में हिस्सा लिया। इस पर पार्टी को जो भी फैसला लेना हो ले सकती है। अदिति को सियासत में लाने का श्रेय प्रियंका गांधी को दिया जाता है। लेकिन अदिति ने प्रियंका के ही आह्वान को नजरअंदाज कर दिया। 

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