नतीजों के बाद की तैयारीः छोटी पार्टियों और निर्दलीयों के संपर्क में कांग्रेस

Edited By Naresh Kumar,Updated: 09 Dec, 2018 10:53 AM

congress in touch with small parties and independents

5 राज्यों में चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अंदरखाते चुनाव परिणाम के बाद पैदा होने वाली स्थिति की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को आए तमाम सर्वे राजस्थान को छोड़ कर कांग्रेस को कहीं स्पष्ट बहुमत नहीं दिखा रहे

जालंधर(नरेश कुमार): 5 राज्यों में चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अंदरखाते चुनाव परिणाम के बाद पैदा होने वाली स्थिति की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार को आए तमाम सर्वे राजस्थान को छोड़ कर कांग्रेस को कहीं स्पष्ट बहुमत नहीं दिखा रहे, लिहाजा राज्यों में सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ करने की जरूरत पड़ सकती है। दरअसल कांग्रेस ने गोवा और मणिपुर में सत्ता हाथ से निकलने के बाद सबक लिया है और पार्टी अब इन पांचों राज्यों में परिणाम के बाद के प्रबंधन में जुट गई है।
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छत्तीसगढ़ में प्रबंधन
छत्तीसगढ़ इस मामले में ज्यादा संवेदनशील है लिहाजा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद पार्टी के नेता और प्रदेश प्रभारी पी.एल. पूनिया के साथ मुलाकात कर चुनाव के बाद की स्थिति पर चर्चा की। कांग्रेस अजीत जोगी और मायावती की पार्टी से चुनाव लड़ कर जीत की संभावना रखने वाले उम्मीदवारों के संपर्क में है। जरूरत पडऩे पर दोनों नेताओं के साथ बातचीत के विकल्प भी खुले रखे गए हैं। एक रणनीति के तहत नतीजों के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को अपने पाले में रखने के लिए उन्हें एक जगह इकट्ठा रहने की प्लानिंग भी की है।
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राजस्थान और तेलंगाना में प्रबंधन
राजस्थान में भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता छोटी पार्टियों के संपर्क में हैं। प्रदेश के पुराने नेता चंद्रराज सिंघवी से कांग्रेस नेताओं ने मुलाकात की है और छोटी पार्टियों व निर्दलीयों का समर्थन जुटाने में उनकी मदद मांगी है। शरद यादव भी इस काम में कांग्रेस की मदद करेंगे। तेलंगाना में भी कांग्रेस ने अंदरखाते एम.आई.एम. के नेताओं और दूसरे मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क किया है। यह पहला मौका है जब अहमद पटेल राजस्थान और तेलंगाना के माइक्रो चुनाव प्रबंधन में शामिल हुए हैं।
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दिलचस्प तथ्य-
सिंधिया परिवार से नहीं बनता सी.एम.!

मध्य प्रदेश की राजनीति का यह दिलचस्प तथ्य है कि प्रदेश में सिंधिया परिवार से कोई सी.एम. नहीं बनता। दूसरे राज्य में परिवार का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है। राजस्थान में वसुंधरा राजे सी.एम. बन गईं पर मध्य प्रदेश में अब तक ऐसा नहीं हो सका है। ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयराजे सिंधिया जनसंघ के जमाने से भाजपा की दिग्गज नेताओं में शुमार रहीं। उनका राजनीतिक कद अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण अडवानी के बराबर नहीं तो उनसे कम भी नहीं था। उनके जीते जी कई बार भाजपा की सरकार बनी पर वह मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं। इसी तरह ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और सोनिया व राजीव गांधी दोनों के दोस्त थे। उनके कांग्रेस में सक्रिय राजनीति में रहते हुए कम से कम 3 बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी पर वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, लिहाजा अब नजरें ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी लगी हैं कि क्या वह इस ट्रैंड को तोड़ पाएंगे?
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राजस्थान में गहलोत हो सकते हैं सी.एम.
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के मध्य है लेकिन ज्यादा संभावना अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने की है। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में पार्टी अपना चेहरा बदल सकती है लेकिन लोकसभा चुनाव से बिल्कुल पहले पार्टी राजस्थान में एकजुटता का संकेत देने के लिए गहलोत को कमान दे सकती है और यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन राजस्थान में गहलोत की कमान में अच्छा रहा तो उन्हें कुर्सी 5 साल के लिए भी मिल सकती है।

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जोगी को भी सी.एम. बनवा सकती है कांग्रेस
छत्तीसगढ़ के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस मजबूरी में अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाने का दाव भी चल सकती है। अगर उनको 5-7 सीटें भी आती हैं तो भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस यह दाव चल सकती है। हालांकि ऐसी स्थिति में कांग्रेस का पहला प्रयास उनकी पार्टी का विलय कराने का होगा, पर अगर वह तैयार नहीं होते हैं तो कांग्रेस बड़ी पार्टी होने के बावजूद उनके पीछे खड़ी होगी। इससे पहले कर्नाटक में बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा को रोकने के लिए जे.डी.एस. के कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनवाया गया है।
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मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मिल सकती है कमान
मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं लेकिन मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस राजस्थान वाला फार्मूला अपना कर अनुभवी कमलनाथ को कमान दे सकती है और उनसे लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छे नतीजों की उम्मीद की जाएगी और यदि वह नतीजे देने में असफल हुए तो चुनाव के बाद उनकी जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया को कमान मिल सकती है। कुछ माह पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस दौड़ में थे लेकिन अब वह दौड़ से पूरी तरह से बाहर हैं। चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने उनके पोस्टरों तक से परहेज किया है।
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छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी पुराने चेहरे
छत्तीसगढ़ में अचानक कांग्रेस के सबसे बुजुर्ग नेता मोतीलाल वोरा को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि पहले उनको मुख्यमंत्री बनाया जाएगा और बाद में टी.एस. सिंहदेव को कमान मिल सकती है। ऐसे ही तेलंगाना में कांग्रेस के पुराने नेता एस. जयपाल रैड्डी के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस जीती तो पहले उनको कमान दी जाएगी और उसके बाद रेवंत रैड्डी या किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

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भाजपा भी परिणाम बाद के प्रबंधन में जुटी
कांग्रेस की तरह ही भाजपा भी चुनाव परिणाम के बाद पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिए जुट गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को तो अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन से काफी उम्मीदें हैं और भाजपा की नजर इन दोनों पार्टियों के जीत सकने वाले उम्मीदवारों पर है। भाजपा ने बाकायदा ऐसे चेहरों की तलाश कर ली है जो अपनी-अपनी सीट पर जीत सकने की स्थिति में हैं। परिणाम के बाद पार्टी को इनके समर्थन की जरूरत पड़ी तो भाजपा इनका समर्थन हासिल कर सकती है।

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