सचिन पायलट की बगावत की जिम्मेदार कांग्रेस खुद !

Edited By vasudha,Updated: 13 Jul, 2020 05:06 PM

राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है। रविवार को उन्होंने दावा किया था कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है। पायलट के दावे के बाद राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है। रविवार को उन्होंने दावा किया था कि उनके पास 30 विधायकों का समर्थन है और अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में है। पायलट के  दावे के बाद राजस्थान की राजनीति में भूचाल आ गया है। एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुर्सी बचाने के लिए नंबर जुटाने में लग गए हैं दूसरी तरफ राज्य में विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी सचिन पायलट को रिझाने में लग गई है। हालांकि एक टीवी चैनल को पायलट ने बताया कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे हैं ।

क्या हैं सचिन पायलट के पास विकल्प ?

  • 1.बीजेपी में शामिल होंगे 
  • 2.पार्टी पर दबाव डालकर मुख्यमंत्री बनेंगे 
  • 3.अलग पार्टी बनाएंगे 

सचिन पायलट के जाने से कांग्रेस सरकार बच पायेगी या नहीं वह राजस्थान विधानसभा की स्थिति जानने से पता चल जायेगा। 


राजस्थान विधानसभा की स्थिति 

  • बीजेपी : 72 
  • भारतीय ट्राइबल पार्टी : 2
  • सीपीएम : 2 
  • निर्दलीय : 13 
  • इंडियन नेशनल कांग्रेस: 107 
  • राष्ट्रिय लोक दल  : 1 
  • राष्ट्रिय लोकतांत्रिक  पार्टी : 3 
  • कुल सीट : 200 
  • बहुमत : 101 


अगर सचिन पायलट को 30 विधायकों का समर्थन है जैसा कि वे दावा कर रहे हैं तो कांग्रेस के पास 77 सीट बच जाएंगी हालांकि गहलोत सरकार को 12 निर्दलीय, 2 सीपीएम, 2 भारतीय ट्राइबल पार्टी और 1 राष्ट्रिय लोक दल के विधायकों का भी समर्थन प्राप्त  है जिससे सरकार के पास कुल संख्या 94 हो जाती जो बहुमत  से 7 सीट कम है। इन पार्टियों का समर्थन सचिन पायलट के जाने के बाद गहलोत सरकार के साथ रहेगा कि नहीं यह बताना मुश्किल है। सोमवार की सुबह ढ़ाई बजे कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कांफ्रेंस कर 109 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। आज जो राजस्थान सरकार में संकट के बादल मंडरा रहे हैं उसकी वजह पायलट और गहलोत के बीच सत्ता की लड़ाई है जिसका नुक्सान आखिर में कांग्रेस पार्टी को ही होगा। 

 

कांग्रेस ने की पायलट की अनदेखी  
जब कांग्रेस पार्टी 2018 में जीती तो जनता को उम्मीद थी कि पांच साल से कड़ी मेहनत कर पार्टी को फर्श से अर्श पर पहुंचाने वाले सचिन पायलट को कांग्रेस सीएम बनाएगी लेकिन पार्टी ने पायलट की बजाय पार्टी के पुराने वफादार अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। जबकि तथ्य बिलकुल गहलोत के खिलाफ थे। 2013 के चुनाव में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे और उनके कारण विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें ही मिल पाई थीं वहीँ सचिन पायलट ने पांच साल तक कड़ी मेहनत कर 2018 में पार्टी को 100 सीटें दिलवाई। 

 

पायलट और गहलोत के कलह से डूबेगी कांग्रेस सरकार 
राजस्थान के मुख्यमंत्री (सीएम) अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम और राज्य कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट के बीच कलह के चलते कांग्रेस सरकार के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जानकारों के मुताबिक अशोक गहलोत सचिन पालयट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं  जिसके चलते गहलोत और पायलट के बीच रिश्ते तल्ख़ हो गए हैं। हाल में सचिन पायलट को राज्यसभा चुनाव से पहले हॉर्स-ट्रेडिंग की जांच में पूछताछ के लिए राजस्थान पुलिस ने तलब किया था जिसने पायलट को गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने के किये मजबूर कर दिया। 

सचिन पायलट के पूर्व साथी और वर्तमान बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना सही है कि कांग्रेस पार्टी को क्षमता और काबिलियत पर कम भरोसा है।

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