कोरोना से गर्भपात, भारत में ऐसा पहला मामला...डॉक्टर भी हैरान

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Aug, 2020 11:14 AM

corona miscarriage first such case in india

देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। वहीं कोरोना के नए-नए बदलाव भी नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का SARS-CoV-2 संक्रमण गर्भवती महिलाओं के लिए भी किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। मुंबई में भी ऐसा ही हैरान करने वाला मामला...

नेशनल डेस्कः देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। वहीं कोरोना के नए-नए बदलाव भी नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का SARS-CoV-2 संक्रमण गर्भवती महिलाओं के लिए भी किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। मुंबई में भी ऐसा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मुंबई में कोरोना के कारण एक महिला का पहले ही ट्राइमेस्टर में गर्भपात हो गया। जांच में पाया गया कि कोरोना संक्रमण गर्भनाल और प्लेसेंटा से होते हुए भ्रूण तक पहुंच गया था। कांदिवली में कर्मचारी राज्य बीमा योजना अस्पताल (ESIS) के सहयोग से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ (NIRRH) ने पिछले हफ्ते जारी किए गए एक शोध में पाया गया कि यह भारत का पहला केस है जिसमें कोरोना का संक्रमण दो हफ्ते के बाद भी टिशू में जिंदा रहा, ज​बकि उसे गले से हटा दिया गया था।

 

SARS-CoV-2 संक्रमण कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह शरीर में न सिर्फ जिंदा रहा बल्कि इसने शरीर के अंदर और भी कोरोना वायरस की संख्या बढ़ा दी और महिला के गर्भ को नुकसान पहुंचाया। इस शोध को 22 अगस्त को MedRxiv पर पोस्ट किया गया था। यह ऑनलाइन साइट है जो चिकित्सा और वैज्ञानिक शोध को प्रकाशित करती है। महिला अस्पताल में सुरक्षा गार्ड है। महिला जब दो महीने की गर्भवती थी तब उसने कोरोना का टेस्ट कराया था। जब वह कोरोना पॉजिटिव पाई तो इसके बाद उसने पांच हफ्ते पहले जब वह 13 हफ्ते की गर्भवती थी तब उसने फिर कोरोना टेस्ट कराया तो वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी। 13 हफ्ते के बाद उसने नियमित रूप से होने वाला अल्ट्रासाउंट कराया तो उसमें भ्रूण मृत पाया गया।

 

ESIS अस्पताल ने इसे कोरोना से जुड़ा मामला मानते हुए संदेह के आधार पर NIRRH से संपर्क किया। इसके बाद समिति ने अस्पताल को महिला पर परीक्षण की मंजूरी दी। कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए महिला के नाक के स्वाब का फिर से परीक्षण किया लेकिन उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद महिला के प्लेसेंटा, एमनियोटिक फ्लूइड और भ्रूण झिल्ली का परीक्षण किया जब इसके रिपोर्ट सामने आई तो सब हैरान रह गए कि संक्रमण होने के पांच हफ्ते बाद ही वायरस प्लेसेंटा में अपनी संख्या बढ़ा रहा था जिससे गर्भ में पल रहे भ्रूण पर असर पड़ा।

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