10 हजार वेतन से नाखुश दिखे पार्षद, कहा- बहुत नाईंसाफी है

Edited By Monika Jamwal,Updated: 06 Jun, 2019 06:02 PM

corporators are not happy with their salaries

बीते दिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जम्मू और श्रीनगर के नगर निगमों के मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों को मानदेय एवं अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं, जिसमें मेयर का प्रतिमाह वेतन 50 हजार, डिप्टी मेयर का 25 हजार और पार्षदों का प्रतिमाह वेतन 10 हजार...

जम्मू : बीते दिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जम्मू और श्रीनगर के नगर निगमों के मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों को मानदेय एवं अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं, जिसमें मेयर का प्रतिमाह वेतन 50 हजार, डिप्टी मेयर का 25 हजार और पार्षदों का प्रतिमाह वेतन 10 हजार लगाया गया है। प्रतिमाह सिर्फ 10 हजार वेतन से अधिकतर पार्षद नाखुश हैं। कुछ पार्षदों की मानो तो मेयर का प्रतिमाह वेतन 50 हजार और पार्षदों का प्रतिमाह वेतन सिर्फ 10 हजार लगाया जाना, पार्षदों के साथ बहुत नाईसाफी है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कांग्रेस या फिर आजाद पार्षद ही 10 हजार प्रतिमाह वेतन से नाखुश है बल्कि भाजपा के पार्षद भी सरकार के इस निर्णय से नाराज हैं। पार्षदों का कहना है कि सफाईकर्मचारी भी 30 हजार रूपए तक वेतन ले रहे हैं।

 
मेयर और पार्षदों के वेतन में बहुत फर्क : गौरव 
वार्ड नंबर 28 के पार्षद गौरव चौपड़ा का कहना है कि हाऊस के अंदर फैसला किया गया था कि कम से कम 25 हजार रूपए पार्षदों का वेतन होना चाहिए, तभी पार्षद अपने एकाउंट नंबर देंगे। उन्होंने कहा कि मेयर 50 हजार, गाड़ी अगल से और फोन का खर्च अलग से दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या मेयर पार्षदों से अधिक काम करते हैं। उन्होंने कहा कि जहां 2 सुपरवाईजर है जो हमसे बहुत अधिक वेतन लेते हैं। गौरव ने कहा कि क्या 35 हजार रूपए वेतन लेने वाला अधिकारी 10 हजार लेने वाले पार्षद का कहना मानेगा। उन्होंने कहा कि मेयर और पार्षदों के वेतन में बहुत फर्क है, जोकि नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि डिप्टी मेयर का भी वेतन बहुत कम, क्या वे काम नहीं कर रहे हैं। गौरव ने बताया कि उनके वार्ड से निगम को प्रतिमाह 20 हजार रूपए रैवन्यू आता है। उन्होंने कहा कि जो महिलाएं पार्षद कोई नौकरी या कार्य नहीं करती है वे 10 हजार रूपए में पूरा महीना कैसे काम करेंगी। जो लोग समस्याएं लेकर उनके पास आएगें तो क्या वे चाय के लिए अपने पति से पैसे मांगेंगी। उन्होंने कहा कि पार्षद के साथ माननीय लगाया जाता है, तो क्या यह इज्जत सिर्फ लिखने में ही मिलेगी, जमीनी स्तर पर नहीं। 


 10 हजार प्रतिमाह मिलने से भ्रष्ट्राचार बढ़ेगा : अनिल  
वार्ड नंबर 10 के भाजपा के पार्षद अनिल मसूम का कहा कि जिसका डर था वो ही हो गया। उन्होंने कहा कि पार्षद कह रहे थे कि 74 संसोधन को लागू करो, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मेयर ने अपने बढ़ा लिया। उनके पास कार्यालय है और निगम का वाहन है, लेकिन हमारे पास क्या है। उन्होंने कहा कि वे चाहते थे कि इतना वेतन लगाया जाता, जिसमें पार्षदों के छोटे-मोटे खर्चे निकल जाते। उन्होंने कहा कि वे तो पूराने लोग है, लेकिन जो नए लोग आए हैं, वे इधर-उधर मुहं मारेंगे। उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्ट्राचार बढ़ेगा। 


 कम से कम 25 हजार वेतन हो : सुरेंद्र 
वार्ड नंबर 29 के पार्षद सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि अगर सरकार पूर्व विधायकों, पूर्व मुख्यमंत्री, विधानपरिषद सदस्यों को मासिक पेंंशन 80  हजार रूपए के करीब प्रदान कर रही है तो पार्षदों को भी कम से कम 25 हजार रूपए प्रतिमाह वेतन प्रदान करना चाहिए। इसके लिए राज्यपाल एवं केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष ज्ञापन सौंपा जाएगा। अगर जमीनी स्तर पर पूरी सुविधाएं एंव व्यवस्था मिले तो रैव्नयू जरनैट किया जा सकता हैै। 


  बेज्जती वाला वेतन बढ़ा : अमित
वार्ड नंबर 19 के पार्षद अमित गुप्ता का कहना है कि बेज्जती वाला वेतन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वेतन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे भी इज्जत होती है, लेकिन सिर्फ 10 हजार वेतन से बेज्जती हुई है। अमित ने कहा कि मेयर तो फोन पर काम करवा लेते हैं, लेकिन पार्षदों को ग्राउंड पर जाना पड़ता है। अमित ने कहा कि पार्षदों के साथ अन्याय हुआ है, जो सही नहीं है। अमित बताया कि उनके वार्ड का कम से कम प्रतिमाह रैवन्यू लाख रूपए है और यदि डोर-टू-डोर सेवा दी जाए तो रैवन्यू और अधिक बढ़ेगा। 


  10  हजार वेतन से अच्छा, सरकार वेतन दे ही नहीं : रजनी
वार्ड नंबर 60 की पार्षद रजनी बाला का कहना है कि मेयर, डिप्टी मेयर व पार्षदों के वेतन में थोड़ा वैलंस होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि 50 हजार मेयर का, डिप्टी मेयर का 40 और पार्षदों का 30 या फिर 20 हजार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के समय में 10 हजार कुछ भी नहीं होता है। एक डेली वेजर को भी इससे थोड़ा सा कम  मिलता है। उन्होंने कहा कि वेतन थोड़ा रिसपेक्टेवल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा सरकार वेतन दे ही नहीं, ऐसे ही सरकारी खजाने पर बोझ डालना है।  

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