'याचिका में महात्मा गांधी तक को नहीं छोड़ा', सुभाषचंद्र बोस की मौत को लेकर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार

Edited By Rahul Singh,Updated: 01 Apr, 2024 06:34 PM

court reprimands the petitioner regarding the death of subhash chandra bose

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिकाकर्ता से अप्रसन्नता जताई, जिसने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की है। न्यायालय ने कहा कि याचिका में उन नेताओं के खिलाफ ‘लापरवाही पूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना आरोप' शामिल हैं जो अब...

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिकाकर्ता से अप्रसन्नता जताई, जिसने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की है। न्यायालय ने कहा कि याचिका में उन नेताओं के खिलाफ ‘लापरवाही पूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना आरोप' शामिल हैं जो अब जीवित नहीं हैं। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका में महात्मा गांधी तक को नहीं छोड़ा। उसने कहा कि याचिकाकर्ता की प्रामाणिकता जांचने की जरूरत है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता पिनाक पाणि मोहंती से पूछा कि उन्होंने जनहित के लिए और मानवाधिकारों के लिए क्या काम किया है। मोहंती ने अपनी याचिका में कहा था कि वह ‘वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन' (इंडिया) के कटक जिला सचिव हैं। 

पीठ ने कहा, ‘‘आपके पीछे कौन है? आपने जनहित के लिए क्या किया है?'' शीर्ष अदालत ने उनसे एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें बड़े पैमाने पर समाज के लिए, खासकर मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके द्वारा की गई अब तक की गतिविधियों का जिक्र हो। न्यायालय ने सुनवाई चार सप्ताह बाद करना तय किया। 

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