Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Apr, 2020 12:17 PM
एक वक्त ऐसा था जब भारत ने अनाज की कमी से निपटने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। वहीं अब अमेरिका ने कोरोना से जंग में भारत की मदद मांगी और देश इससे पीछे भी नहीं हटा। Covid-19 से अमेरिका में बुरे हाल और वहां अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है।...
नेशनल डेस्कः एक वक्त ऐसा था जब भारत ने अनाज की कमी से निपटने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी। वहीं अब अमेरिका ने कोरोना से जंग में भारत की मदद मांगी और देश इससे पीछे भी नहीं हटा। Covid-19 से अमेरिका में बुरे हाल और वहां अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना से परेशान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) दवा मांगी थी। भारत ने भी ट्रंप की अपील मानी और वॉशिंगटन को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई भेजी।
कभी नेहरू ने मांगी थी अमेरिका से मदद
1951 में देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अनाज की कमी से जूझ रहे देश के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी और तब उन्होंने भारत को सहयोग दिया था। 12 फरवरी 1951 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने भारत को अनाज की कमी से निपटने के लिए 20 लाख टन आपात मदद की अनुशंसा की थी। उस समय हैरी एस ट्रूमैन ने कहा था कि हम भारत की अपील पर बहरे बने नहीं रह सकते हैं। उन्होंने तब कहा था कि भारत के लोगों के प्रति हमारी दोस्ती और लोगों को भूखे नहीं रहने देने की हमारी चिंता ही हमें यह कदम उठाने को प्रेरित कर रही है। उस समय अमेरिका ने इसलिए मदद की थी क्योंकि वो भारत को एहसास दिलाना चाहता था कि नई दिल्ली का असली हित पश्चिमी देशों संग है। दरअसल उस समय भारत की चीन की नीतियों को लेकर तल्ख था, फिर भी अमेरिकी कांग्रेस ने लंबी बहस के बाद भारत को अनाज भेजने को अपनी रजामंदी दी।
अब समय बदल गया
1951 और 2020 तक अब समय काफी बदल गया है। भारत और अमेरिका के बीच अब रिश्ते काफी अच्छे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार पीएम मोदी की तारीफ कर चुके हैं और अब अमेरिका भी भारत का लोहा मानता है। भारत आज खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है और कई चीजों का निर्यात भी करता है। हाल ही में भारत ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन भेजी है जिसकी ट्रंप ने काफी तारीफ की थी। उन्होंने पीएम मोदी और भारतीय लोगों का धन्यवाद करते हुए अपने ट्वीट में कहा कि भारत की इस मदद को भुलाया नहीं जाएगा। बता दें कि मलेरिया की यह दवा कोरोना से लड़ने में कुछ हद तक कारगार है।