Edited By vasudha,Updated: 19 Mar, 2019 05:55 PM
60 साल से भारत में रहकर दुनिया को शांति का पैगाम देने वाले बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा ने एक बड़ी घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि मरने के बाद उनका उत्तराधिकारी चीन से नहीं बल्कि भारत से ही होगा...
नेशनल डेस्क: 60 साल से भारत में रहकर दुनिया को शांति का पैगाम देने वाले बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा ने ऐलान किया कि मरने के बाद उनका उत्तराधिकारी चीन से नहीं बल्कि भारत से ही होगा। उनके अनुसार उन्होंने 60 साल भारत में गुजारे हैं, जिस कारण उनका उत्तराधिकारी यहीं से होना चाहिए। हालांकि चीन ने इसे खारिज करते हुए कहा कि उनका उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है और बीजिंग की ओर से नामित शख्स का सम्मान नहीं होगा।
चीन ने कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अगले आध्यात्मिक नेता को चीन सरकार से मान्यता लेनी होगी। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित 83 वर्षीय लामा ने सोमवार को एक समाचार एजेंसी से कहा कि यह संभव है कि उनके निधन के बाद उनका अवतार भारत में मिल सकता है और चेताया कि चीन द्वारा नामित किसी भी अन्य उत्तराधिकारी का सम्मान नहीं किया जाएगा। इसके बाद चीन ने यह प्रतिक्रिया जाहिर की है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि पुन:अवतार तिब्बती बौद्ध धर्म का अनूठा तरीका है। इसका निश्चित अनुष्ठान और परंपरा हैं। चीन सरकार की धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता की एक नीति है। हमारे यहां धार्मिक मामलों पर अपने कायदे-कानून हैं और तिब्बती बौद्ध धर्म में पुन: अवतार की परंपरा को लेकर भी कायदे-कानून हैं। हम तिब्बती बौद्ध धर्म के इन तरीके का सम्मान करते हैं और संरक्षण करते हैं।तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक नेता को दलाई लामा का उपाधि दी जाती है।
गेंग ने कहा कि सैकड़ों साल से पुन: अवतार की पंरपरा है। 14वें दलाई की मान्यता भी धार्मिक रीति-रिवाज से हुई थी और केंद्र सरकार ने उन्हें मान्यता दी थी। दलाई लामा के पुन:अवतार को राष्ट्रीय नियम-कायदे और धार्मिक रीति-रिवाज का अनुसरण करना चाहिए। तिब्बती में 1959 विद्रोह भड़कने के बीच दलाई लामा मार्च में भागकर भारत आ गए थे।