Edited By Anil dev,Updated: 18 Jan, 2020 03:41 PM
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत संदेह के आधार पर किसी को भी हिरासत में रखने का अधिकार पुलिस आयुक्त को दिया है। सूत्रों ने बताया कि रासुका कानून ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार...
नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत संदेह के आधार पर किसी को भी हिरासत में रखने का अधिकार पुलिस आयुक्त को दिया है। सूत्रों ने बताया कि रासुका कानून ऐसे व्यक्ति को एहतियातन महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है, जिससे प्रशासन को राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए खतरा महसूस हो।
दिल्ली में रासुका को ऐसे समय में लागू किया गया है, जब शहर में अलग-अलग जगहों पर नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। अधिसूचना के मुताबिक उपराज्यपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 1980 की धारा तीन की उपधारा (3) का इस्तेमाल करते हुए 19 जनवरी से 18 अप्रैल तक दिल्ली पुलिस आयुक्त को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार दिया। यह अधिसूचना राज्यपाल की मंजूरी के बाद 10 जनवरी को जारी की गई थी। यह फैसला ऐसे समय आया है जब राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक रिपोर्ट को ट्वीट करते हुए लिखा, “दिल्ली पुलिस को एनएसए के तहत हिरासत में रखने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इसके तहत पुलिस किसी भी बेगुनाह व्यक्ति को एक साल तक बिना वकील, बिना दलील और बिना अपील के पकड़ सकती है। दिल्ली पुलिस ने केंद्र को खुश करने वाले तरीके अपनाएगी।” उपराज्यपाल ने यह फैसला तब लिया है जब दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं।