दिल्ली दंगे: दो हफ्ते बाद भी रात गहराने के बाद मंडराने लगता है खौफ का साया

Edited By Anil dev,Updated: 09 Mar, 2020 06:17 PM

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उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से सर्वाधिक प्रभावित शिव विहार में आज भी सूरज ढलने और रात गहराने के बाद खौफ का मंजर दिलो-दिमाग में ताजा हो उठता है। अब से दो हफ्ते पहले तक हलचल और लोगों की चहल पहल से गुलजार यह इलाका रात होते ही सहम उठता है।

नई दिल्ली: उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से सर्वाधिक प्रभावित शिव विहार में आज भी सूरज ढलने और रात गहराने के बाद खौफ का मंजर दिलो-दिमाग में ताजा हो उठता है। अब से दो हफ्ते पहले तक हलचल और लोगों की चहल पहल से गुलजार यह इलाका रात होते ही सहम उठता है। मोहम्मद नफीस याद करते हैं कि कुछ रातों पहले उन्होंने अपने 14 साल के भतीजे सैफ से कहा था, हर किसी को बुला लो। यहां से निकलने का वक्त आ गया है।

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उन्होंने सैफ से कहा कि परिवार के सारे लोगों को इकठ्ठा कर लो ताकि अपने घर को छोड़ कर वे अपने रिश्तेदारों के घर में कुछ दिन तक आसरा ले सके। नफीस एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं। दो सोमवार पहले, उत्तरपूर्वी दिल्ली के तमाम इलाकों में हजारों लोगों की जान अधर में लटक गई थी जबकि 1984 के बाद से शहर में हुए सबसे बुरे दंगों ने 53 लोगों की जान ले ली थी। 24 फरवरी को शुरू होकर 26 फरवरी तक चले इन दंगों में कम से कम 200 लोग घायल हो गए थे, सैकड़ों विस्थापित हो गए और कई के रोजगार के जरिए बर्बाद कर दिए गए थे। और अब, दो हफ्ते बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। लोगों के मन में डर इस तरह से घर कर गया है कि शाम होते ही उन्हें डर सताने लगता है कि कहीं फिर से हिंसा न हो जाए। यहां के निवासी उस इलाके को छोडऩे की जल्दबाजी में थे जो दशकों से उनका घर रहा है। 

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नफीस ने कहा, हम यहां रात बिताने के नाम से बहुत डरते हैं। किसी को नहीं पता कि कब क्या हो जाए।ज्ज् उनके और उनके परिवार के 14 सदस्य अब से दो हफ्ते पहले शिव विहार के फेज सात की गली नंबर 12 में तीन मंजिला घर में रहते थे जब यह इलाका दंगों की भेंट चढ़ गया। इसी तरह इलाके की कई संपत्तियों को आग के हवाले किए जाने से पहले लूटा गया और तोड़ दिया गया। हिंसा से प्रभावित लोगों ने या तो सरकार के राहत शिविरों में शरण ली है या अपने रिश्तेदारों के घर चले गए। ये लोग हर सुबह नुकसान के आकलन के लिए यहां आते हैं और शाम होते ही अपने अस्थायी घरों को लौट जाते हैं। मौहम्मद गयूर की दो मंजिला इमारत को भी जलाकर खाक कर दिया गया। भूतल पर रखी तीन बाइक को जला दिया गया, ऊपर की मंजिल पर सिलेंडरों में विस्फोट किया गया जिससे तीन में से दो कमरों की छत ढह गई। उनकी तीन बकरियों को चुरा लिया गया। 

गयूर ने कहा, हम सदमे में थे। इसलिए जब पुलिस 26 फरवरी की सुबह हमें निकालने आई, हम तुरंत चल दिए। मैंने अपनी चप्पलें भी नहीं पहनी। मैं इतना डरा हुआ था। जब हम अगली दोपहर लौटे तो सबकुछ बर्बाद हो गया था। उन्होंने कहा, हमें नहीं पता हम कब तक लौटेंगे। हमें अपनी सामान्य जिंदगी जीने में कम से कम तीन से चार साल लग जाएंगे। इन दंगों में 700 से ज्यादा मामले दर्ज हुए और करीब 2,400 लोगों को या तो हिरासत में लिया गया या फिर गिरफ्तार किया गया। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बयान में बताया कि हिंसा के दौरान 79 घर और 327 दुकानें पूरी तरह जलाकर खाक कर दी गईं। 

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