कोरोना संकट के बीच उम्मीद की किरण बनी DRDO की 2-DG दवा, जानिए कैसे शरीर पर करती है असर

Edited By Seema Sharma,Updated: 09 May, 2021 12:05 PM

drdo 2 dg drug become hope in the midst of the corona

कोरोना के बढते संकट के बीच इससे निपटने में मदद के लिए उम्मीद की एक और किरण दिखाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हैदराबाद स्थित डा रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर कोविड रोधी दवा 2-deoxy-D-glucose (2-DG) विकसित की है और औषधि नियंत्रक...

नेशनल डेस्क: कोरोना के बढते संकट के बीच इससे निपटने में मदद के लिए उम्मीद की एक और किरण दिखाई दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने हैदराबाद स्थित डा रेड्डीज लेबोरेटरीज के साथ मिलकर कोविड रोधी दवा 2-deoxy-D-glucose (2-DG) विकसित की है और औषधि नियंत्रक महानिदेशक (DCGI) ने इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। DRDO की एक प्रयोगशाला INMAS ने इसमें सहयोग किया है। नैदानिक परीक्षण परिणामों से पता चला है कि यह दवा अस्पताल में भर्ती रोगियों के तेजी से ठीक होने में मदद करता है एवं बाहर से ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करता है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह दवा कोविड-19 से पीड़ति लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगी।

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जानिए इससे जुड़ी खास बातें

किसने बनाई दवा
2-deoxy-D-glucose (2-DG) दवा DRDO के परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान (Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences) ने हैदराबाद स्थति डॉ. रेड्डी लेबोरेटरीज के साथ तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर DRDO ने कोविड रोधी दवा विकसित करने की पहल की। अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान INMAS-DRDO के वैज्ञानिकों ने सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद की मदद से प्रयोगशाला परीक्षण किए और पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरल को बढ़ने से रोकती है। इन परिणामों के आधार पर गत साल मई में कोरोना मरीजों में 2-DG के दूसरे चरण के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी गई। DRDO ने अपने उद्योग सहयोगी DRL हैदराबाद के साथ मिलकर कोविड-19 मरीजों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए नैदानिक परीक्षण शुरू किए।

 

दूसरा चरण
मई से अक्तूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों (डोज़ रेजिंग समेत) में दवा कोविड-19 रोगियों में सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया गया। दूसरे चरण का ट्रायल 6 अस्पतालों में किया गया और देशभर के 11 अस्पतालों में दूसरे चरण बी (डोज रेजिंग) का क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इसमें 110 मरीजों का ट्रायल किया गया। 

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तीसरा चरण
सफल परिणामों के आधार पर गत नवंबर में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों की अनुमति दी गई। दिल्ली, उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 कोरोना अस्पतालों में दिसंबर से मार्च के बीच 220 मरीजों पर तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया गया।

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2-DG का मरीजों पर असर
तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के विस्तृत आंकड़े DCGI को पेश किए गए। 

  • इस दवा को लेने वाले मरीज, बाकी मरीजों की तुलना में लगभग 2.5 दिन पहले ही ठीक हो गए। इतना ही नहीं तीसरे दिन तक मरीज पूरक ऑक्सीजन निर्भरता कम हो गई जो ऑक्सीजन पर निर्भरता से शीघ्र राहत का संकेत है। यानि कि यह ऑक्सीजन की मांग को भी कम करती है। इसी तरह का रुझान 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में देखा गया।
  • गत एक मई को इस दवा के आपातकालीन उपयोग की गंभीर कोरोना मरीजों में सहायक चिकित्सा के रूप में अनुमति प्रदान की गई। यह दवा पाउच में पाउडर के रूप में मिलेगी जिसे लेना काफी आसान होगा। इसे पानी में घोलकर पीना होगा।
  • यह दवा वायरस संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस के विकास को रोकती है।
  • वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में इसका चयनात्मक संचय इस दवा को बेजोड़ बनाता है।
  • DRDO के मुताबिक पाउडर में होने के कारण इसे आसानी से उत्पादित किया जा सकता है और यह जल्द ही देशभर में उपलब्ध हो जाएगी।

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